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जंग में यूक्रेन की मदद करेगा NATO, अमेरिका विरोधी बेलारूस कैसे बना बड़ा फैक्‍टर

Neha Dani
11 Oct 2022 9:10 AM GMT
जंग में यूक्रेन की मदद करेगा NATO, अमेरिका विरोधी बेलारूस कैसे बना बड़ा फैक्‍टर
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पश्चिमी देशों का हस्‍तक्षेप बढ़ेगा। यह स्थिति विश्‍व युद्ध की हो सकती है।

बेलारूस के एक बयान से यूक्रेन युद्ध एक खतरनाक मोड़ पर पहुंच गया है। दरअसल, बेलारूस के राष्‍ट्रपति एलेक्जेंडर लुकाशैंको ने कहा है कि वह रूसी सेनाओं को अपने देश में बैरक बनाने के लिए जमीन प्रदान करेंगे। उनका यह बयान ऐसे समय आया है, जब रूस ने यूक्रेन में मिसाइलों से हमला कर युद्ध को भयावह बना दिया है। ऐसे में सवाल उठता है कि बेलारूस का यूक्रेन युद्ध में आगे आने से क्‍या असर होगा। बेलारूस के राष्‍ट्रपति के इस बयान के बाद आखिर नाटो NATO क्‍यों भड़का है। बेलारूस और पश्चिमी देशों तथा अमेरिका के बीच तनाव की बड़ी वजह क्‍या है। क्‍या यह युद्ध एक नए विश्‍व युद्ध की रूपरेखा तय कर रहा है। आइए जानते हैं कि इस पर विशेषज्ञों की क्‍या राय है।

जंग में यूक्रेन की मदद करेगा NATO
यूक्रेन जंग में बेलारूस के रूस को सैन्य मदद के ऐलान से यूरोप में बड़े युद्ध का खतरा पैदा हो गया है। बेलारूस के राष्ट्रपति एलेक्जेंडर लुकाशैंको ने कहा है कि उनका देश रूस की सेनाओं को अपने यहां बैरक बनाने और अभियान छेड़ने के लिए जमीन प्रदान करेगा। रूस वहां सैन्य बेस बनाएगा। इससे नाटो और रूस के बीच तनाव बढ़ गया है। इसकी प्रतिक्रिया में नाटो ने कहा है कि हम इसके लिए तैयार हैं। नाटो महासचिव स्टाल्टेनबर्ग ने कहा कि यूक्रेन की मदद से पीछे नहीं हटेंगे। अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडन ने हमलों को पुतिन की बर्बरता करार दिया है।
आखिर बेलारूस से क्‍यों चिंतित है नाटो
1- सोवियत संघ के समय बेलारूस उसका हिस्‍सा था। सोवियत संघ के विघटन के बाद 1991 में वह एक स्‍वतंत्र देश बना। बेलारूस की आजादी के बाद से रूस और बेलारूस के बीच घनिष्‍ठ आर्थिक और राजनीतिक संबंध हैं। विदेश मामालों के जानकार प्रो हर्ष वी पंत का कहना है कि खास बात यह है कि बेलारूस की सीमा नाटो संगठन से जुड़े तीन सदस्‍य देशों की सीमा से लगती है। इनमें लातविया, लिथुआनिया और पोलैंड शामिल हैं। ये तीनों मुल्‍क नाटो संगठन का भी हिस्‍सा हैं, जबकि बेलारूस, रूस के साथ बना हुआ है। नाटो की सबसे बड़ी चिंता यह है कि अगर बेलारूस इस युद्ध में शामिल हुआ तो संगठन के सदस्‍य देशों तक इसकी आंच जाएगी। ऐसे में नाटो शांत नहीं बैठ सकता है और उसे इस युद्ध में शामिल होना होगा।
2- बेलारूस, यूक्रेन के साथ करीब सात सौ मील की सीमा साझा करता है। विदेश मामलों के जानकार प्रो हर्ष वी पंत का कहना है कि यूक्रेन रूस की तुलना में बेलारूस के करीब है। अगर रूसी सेना ने बेलारूस में सैन्‍य अड्डा बनाया तो वह यूक्रेन के लिए खतरनाक होगा। उन्‍होंने कहा कि यूक्रेन में आक्रमण के पहले रूसी सैनिकों का जमावड़ा बेलारूस में ही था। बेलारूस में करीब तीस हजार से अधिक सैनिक एकत्र हुए थे और इसके बाद ही यूक्रेन पर जंग का ऐलान किया गया।
3- उन्‍होंने कहा कि बेलारूस अकेला देश है जो इस युद्ध में रूस की मदद का खुलकर ऐलान कर रहा है। प्रो पंत ने कहा कि रूसी राष्‍ट्रपति पुतिन की मदद का एक बड़ा कारण बेलारूस के राष्‍ट्रपति अलेक्‍जेंडर लुकाशेंको है। लुकाशेंको वर्ष 1994 से ही बेलारूस के राष्‍ट्रपति हैं। उनको यूरोप का अंतिम तानाशाह कहा जाता है। हालांकि, वर्ष 2020 के पूर्व अलेक्‍जेंडर ने बेलारूस की छवि एक तटस्‍थ देश के रूप में बना रखी थी। अपनी 26 साल की सत्ता में सबसे बड़ी चुनौती का सामना करते हुए अलेक्जेंडर ने मदद के लिए पुतिन की ओर रुख किया और रूसी राष्‍ट्रपति ने घोषणा की कि रूसी सेना यदि आवश्यक हो हस्तक्षेप करने के लिए तैयार है। इसके बाद रूस और बेलारूस की दोस्‍ती और प्रगाढ़ हुई।
4- बेलारूस और रूस के मधुर संबंधों के कारण अमेरिका और पश्चिमी देशों से उसके तनावपूर्ण र‍िश्‍ते हैं। अमेरिका और पश्चिमी देशों ने बेलारूस पर कई प्रतिबंध लगा रखा है। इतना ही नहीं वर्ष 2020 में बेलारूस ने अमेरिकी राजदूत जूली फ‍िशर को वीजा देने से इन्‍कार कर दिया था। वर्ष 2021 में बेलारूस ने अमेरिकी दूतावास के कर्मचारियों को वापस भेजने का आदेश दिया था। इससे इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता है कि बेलारूस और पश्चिमी देशों के बीच किस तरह के रिश्‍ते हैं। ऐसे मे अगर बेलारूस ने यूक्रेन जंग में रूस का साथ दिया तो संभव है कि अमेरिका व पश्चिमी देशों का हस्‍तक्षेप बढ़ेगा। यह स्थिति विश्‍व युद्ध की हो सकती है।

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