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नॉर्वे हवाई सीमा के पास नाटो ने रूसी लड़ाकू विमानों को खदेड़ा, फिनलैंड सीमा पर बढ़ रहा तनाव

Neha Dani
28 May 2022 4:53 AM GMT
नॉर्वे हवाई सीमा के पास नाटो ने रूसी लड़ाकू विमानों को खदेड़ा, फिनलैंड सीमा पर बढ़ रहा तनाव
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उग्रवादियों के कथित समर्थन और तुर्की को हथियार बेचने पर पाबंदियों का मुद्दा उठाया है। तुर्की कुर्द उग्रवादियों को आतंकवादी मानता है।

हेल्सिंकी : यूक्रेन युद्ध के बीच फिनलैंड और स्वीडन ने नाटो में शामिल होने की घोषणा करके क्रेमलिन को चौंका दिया है। इसके बाद से ही नॉर्डिक देशों और रूस के बीच तनाव बढ़ रहा है। गुरुवार को नाटो के लड़ाकू विमानों ने नॉर्वे और फिनलैंड की सीमा के पास दो रूसी विमानों को खदेड़ दिया जो कथित तौर पर क्षेत्र में घुसने की कोशिश कर रहे थे। नॉर्वेजियन वायु सेना ने गुरुवार को अपने हवाई क्षेत्र के पास एक मिकोयान MiG-31 'फॉक्सहाउंड' और एक सुखोई Su-24 'फेंसर' जेट को रोका।

द सन की खबर के अनुसार 18 मई को फिनलैंड ने नाटो सदस्यता के लिए औपचारिक तौर पर अप्लाई कर दिया था। वहीं स्वीडन ने भी स्पष्ट कर दिया है कि वह सैन्य गठबंधन में शामिल होने का इच्छुक है। फिनलैंड और रूस के बीच लंबी भू सीमा है और अगर फिनलैंड नाटो में शामिल होता है तो रूस के साथ पश्चिमी सैन्य गठबंधन की सीमा दोगुनी हो जाएगी। इससे पहले रूस ने चेतावनी देते हुए कहा था कि उसे जवाबी कार्रवाई के रूप में 'सैन्य कदम' उठाने के लिए मजबूर होना पड़ सकता है।
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नॉर्वेजियन हवाई क्षेत्र में दाखिल नहीं हुए थे विमान
नॉर्वे की वायुसेना ने कहा कि रूसी लड़ाकू विमानों के पूर्व में पीछे हटने से पहले नॉर्वेजियन सागर के ऊपर उन्हें रोकने के लिए दो नाटो F-35 जेट विमानों को भेजा गया था। विमानों को नॉर्वे के सुदूर उत्तर में फिनमार्क के बाहर देखा गया लेकिन वे कभी भी आधिकारिक नॉर्वेजियन हवाई क्षेत्र में नहीं दाखिल हुए। नॉर्वेजियन वायु सेना में कॉमस मैनेजर स्टाइन बार्कले गैसलैंड ने कहा कि दो F35 हमेशा स्टैंडबाय पर रहते हैं, जिसे नाटो के लिए क्विक रिएक्शन अलर्ट कहा जाता है।
तुर्की ने रखीं फिनलैंड-स्वीडन के सामने शर्तें
यूक्रेन-रूस युद्ध की पृष्ठभूमि में फिनलैंड और स्वीडन की नाटो सदस्यता बहुत बड़ा कदम है और अगर दोनों देश नाटो का हिस्सा बन जाते हैं तो यूरोप का पूरा सुरक्षा नक्शा ही बदल जाएगा। गौरतलब है कि स्वीडन और फिनलैंड के नाटो में शामिल होने के लिए संगठन के सभी सदस्यों की सहमति जरूरी है लेकिन संगठन में दूसरी सबसे बड़ी सेना का मालिक तुर्की इसका विरोध कर रहा है। उसने कुर्द उग्रवादियों के कथित समर्थन और तुर्की को हथियार बेचने पर पाबंदियों का मुद्दा उठाया है। तुर्की कुर्द उग्रवादियों को आतंकवादी मानता है।

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