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दूर तक जाएगी NASA के महाशक्तिशाली Roman Telescope की नजर, एक लाख 'अर्थ 2.0' ढूंढ़ना है काम

Neha Dani
11 May 2021 10:21 AM GMT
दूर तक जाएगी NASA के महाशक्तिशाली Roman Telescope की नजर, एक लाख अर्थ 2.0 ढूंढ़ना है काम
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दुनिया की एक विस्तृत विविधता की खोज की है.

अमेरिकी स्पेस एजेंसी NASA ब्रह्मांड (Universe) के अनसुलझे राज को जानने के लिए कई अडवांस्ड टेलिस्कोप पर काम कर रही है. ऐसा ही एक टेलिस्कोप है, रोमन स्पेस टेलिस्कोप (Roman Space Telescope), जो नई दुनियाओं की खोज में एक प्रमुख भूमिका निभाने वाला है. इस बात की उम्मीद है कि रोमन टेलिस्कोप को अगले साल मध्य तक लॉन्च कर दिया जाएगा. इसके बाद ये ब्रह्मांड में मौजूद सुपर-अर्थ (Super Earth) को खोजने का काम करेगा. पृथ्वी के मुकाबले अधिक विशाल और ज्यादा द्रव्यमान वाले ग्रहों को सुपर अर्थ कहा जाता है.

रोमन स्पेस टेलिस्कोप एक्सोप्लैनेट को खोजने के लिए दो तरीकों का प्रयोग करेगा, जिसमें ट्रांजिट मेथड (Transit Method) और माइक्रोलेंसिंग (Microlensing) शामिल है. अधिकतर टेलिस्कोप सिर्फ एक ही मेथड का प्रयोग करते हैं. लेकिन रोमन टेलिस्कोप दोनों तरीकों का प्रयोग करते हुए अब तक सबसे बेहतरीन ग्रह खोजने वाला वाला टेलिस्कोप होगा. ग्रहों को खोजने के लिए सबसे आम तरीका ट्रांजिट मेथड होता है. माना जा रहा है कि रोमन की अधिकतर खोजें ट्रांजिट मेथड के जरिए ही होंगी. इस बात की संभावना है कि ये टेलिस्कोप एक लाख से ज्यादा ग्रहों को खोजने में सफल होगा
किस तरह के ग्रहों को खोजेगा रोमन टेलिस्कोप?
माना जा रहा है कि रोमन टेलिस्कोप द्वारा खोजे जाने वाले ग्रहों में तीन-चौथाई ऐसे ग्रह होंगे, जो बिल्कुल बृहस्पति और शनि ग्रह की तरह गैस के गोले होंगे. इसके अलावा कुछ ग्रह ठंडे बर्फ के गोले भी हो सकते हैं, ठीक हमारे सौरमंडल में मौजूद अरुण और वरुण ग्रह की तरह. वहीं, कुछ ग्रह छोटे शनि ग्रह की तरह हो सकते हैं, जो पृथ्वी के मुकाबले चार से आठ गुना छोटे हो. इस बात की संभावना है कि इनमें से कुछ ग्रह अपने तारों के 'हैबिटेबल जोन' में हों. हैबिटेबल जोन किसी भी सौरमंडल का वो इलाका होता है, जहां मौजूद ग्रह पर पानी तरल अवस्था में रहता है और ग्रह की सतह चट्टानी होती है.
…तो इसलिए खास है रोमन टेलिस्कोप
रोमन टेलिस्कोप नए आकाशीय क्षेत्र को कवर करेगा और हमारी आकाशगंगा में पहले से अधिक दूर तक देखेगा. यह 26,000 प्रकाश वर्ष दूर तक के ग्रहों को खोजने में सक्षम होगा. इसकी तुलना केपलर स्पेस टेलीस्कोप की जाए तो पता चलता है कि केपलर औसतन 2,000 प्रकाश वर्ष दूर के सितारों का अध्ययन ही कर पाया. बता दें कि केपलर ने अब अपना मिशन पूरा कर लिया है. वहीं, TESS टेलिस्कोप वर्तमान में लगभग 150 प्रकाश वर्ष दूर ग्रहों की तलाश करने पर ध्यान केंद्रित करता है. केप्लर और TESS के साथ ही पृथ्वी पर मौजूद दूरबीनों द्वारा किए जाने वाले मिशनों ने हमारी आकाशगंगा के छोटे क्षेत्रों में अब तक जांच की गई दुनिया की एक विस्तृत विविधता की खोज की है.


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