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NASA का Ingenuity हेलिकॉप्टर मंगल पर उड़ान भरने को तैयार, VIDEO में दिखा फड़फड़ाता पंख

Gulabi
10 April 2021 7:59 AM GMT
NASA का Ingenuity हेलिकॉप्टर मंगल पर उड़ान भरने को तैयार, VIDEO में दिखा फड़फड़ाता पंख
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अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के परसेवेरेंस रोवर के साथ मंगल पर पहुंचा Ingenuity हेलिकॉप्टर अपनी उड़ान भरने के लिए तैयार है

वॉशिंगटन: अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के परसेवेरेंस रोवर के साथ मंगल पर पहुंचा Ingenuity हेलिकॉप्टर अपनी उड़ान भरने के लिए तैयार है। एक दिन पहले ही नासा की जेट प्रपल्सन लेबरोटरी ने इस हेलिकॉप्टर के पंखों के फड़फडाने का एक वीडियो जारी किया है। नासा ने बयान जारी कर बताया है कि 11 अप्रैल को यह हेलिकॉप्टर एक बार फिर उड़ान भरने का प्रयास करेगा। इसका डेटा 12 अप्रैल को धरती तक पहुंचेगा। अगर सबकुछ सही रहा तो नासा का यह हेलिकॉप्टर 30 सेकेंड तक के लिए 10 फीट (लगभग 3 मीटर) की ऊंचाई तक जाएगा।

नासा करेगा लाइव स्ट्रीमिंग
Ingenuity हेलिकॉप्टर मंगल ग्रह के जेजेरो क्रेटर में बने एक अस्थायी हेलिपैड से उड़ान भरने को तैयार है। अगर यह मिशन सफल होता है तो यह धरती के अलावा पहली बार किसी दूसरे ग्रह पर हेलिकॉप्टर की उड़ान होगी। इस मिशन को नासा के कैलिफोर्निया स्थित जेट प्रोपल्सन लैबरेटरी लाइव स्ट्रीमिंग करेगी। इसे नासा की लाइव टीवी चैनल के अलावा जेपीएल के ट्विटर हैंडल पर दिए लिंक से देखा जा सकता है।
स्वायत्त रूप से उड़ेगा इनजीनिटी
नासा ने बताया है कि Ingenuity स्वायत्त रूप से अपनी पूरी उड़ान का संचालन करेगा। लगभग 1.8 किग्रा का यह रोटरक्राफ्ट अपने चार कार्बन-फाइबर ब्लेड के सहारे उड़ेगा। जिसके ब्लेड 2400 राउंड प्रति मिनट की दर से घूम सकते हैं। यह स्पीड धरती पर मौजूद हेलिकॉप्टरों के ब्लेड की रोटेटिंग स्पीड से लगभग 8 गुना ज्यादा है। ऐसा इसलिए किया गया है क्योंकि मंगल का वातावरण धरती की तुलना में 100 गुना अधिक पतला है।

जमीन से 10 फीट ऊंचा उड़ेगा यह हेलिकॉप्टर
इनजीनिटी अपने रोटर के सहारे पहली बार उड़ान के दौरान लगभग 10 फीट की ऊंचाई प्राप्त करेगा। इसके बाद यह धीरे-धीरे नीचे भी उतरेगा। अगर सबकुछ ठीक रहा तो इनजीनिटी 30 दिनों के अंदर चार बार उड़ान भरने का प्रयास करेगा। हर उड़ान पिछले से ज्यादा ऊंचाई और दूरी तक की जाएगी। जिससे यह हेलिकॉप्टर उच्चतम स्तर को पा सके।
नासा ने बताया कि Jezero Crater में एक स्थान को इस हेलिकॉप्टर के लिए हेलिपैड के रूप में चिन्हित किया गया है। Perseverance रोवर अगले कुछ दिन चलने के बाद उस स्थान पर पहुंच जाएगा। जिसके बाद Ingenuity हेलिकॉप्टर के उड़ान को सफलतापूर्वक आयोजित करने की कोशिश की जाएगी। नासा ने बताया है कि इस हेलिकॉप्टर का टेस्ट 7 अप्रैल के पहले होने की संभावना नहीं है। इस पॉइंट पर रोवर के पहुंचने के बाद हमारे पास टेस्ट को पूरा करने के लिए करीब 30 दिन का समय होगा। जिसके अंदर कभी भी ट्रायल शुरू किया जा सकता है। नासा ने बताया कि उड़ान से पहले आसपास की जगह की जांच की जाएगी, क्योंकि मलबे का एक छोटा सा टुकड़ा भी हमारे मिशन को फेल कर सकता है। इसके लिए मंगल का मौसम भी सही होना चाहिए। धरती की अपेक्षा मंगल के मौसम का पूर्वानुमान लगाना बहुत मुश्किल होता है। अगर वहां अचानक मौसम बदल जाए तो हम अपना हेलिकॉप्टर खो सकते हैं। अंतरिक्ष का मौसम सूर्य से आने वाले विकिरण से जुड़ा हुआ है और नासा के अनुसार, यह पल पल बदलता रहता है।
रोवर से निकलने के बाद मंगल के 30 दिन (धरती के 31 दिन) इसकी एक्सपेरिमेंटल फ्लाइट की कोशिश होगी। अगर यह मंगल की सर्द रातों में सही-सलामत रहा तो टीम पहली फ्लाइट की कोशिश करेगी। मंगल पर रात का तापमान -90 डिग्री सेल्सियस तक जा सकता है। NASA के मुताबिक अगर हेलिकॉप्टर टेक ऑफ और कुछ दूर घूमने में सफल रहा तो मिशन का 90% सफल रहेगा। अगर यह सफलता से लैंड होने के बाद भी काम करता रहा तो चार और फ्लाइट्स टेस्ट की जाएंगी। यह पहली बार किया जा रहा टेस्ट है इसलिए वैज्ञानिक इसे लेकर बेहद उत्साहित हैं और हर पल कुछ नया सीखने की उम्मीद में हैं।
मंगल पर रोटरक्राफ्ट की जरूरत इसलिए है क्योंकि वहां की अनदेखी-अनजानी सतह बेहद ऊबड़-खाबड़ है। मंगल की कक्षा में चक्कर लगा रहे ऑर्बिटर ज्यादा ऊंचाई से एक सीमा तक ही साफ-साफ देख सकते हैं। वहीं रोवर के लिए सतह के हर कोने तक जाना मुमकिन नहीं होता। ऐसे में ऐसे रोटरक्राफ्ट की जरूरत होती है जो उड़ कर मुश्किल जगहों पर जा सके और हाई-डेफिनेशन तस्वीरें ले सके। 2 किलो के Ingenuity को नाम भारत की स्टूडेंट वनीजा रुपाणी ने एक प्रतियोगिता के जरिए दिया था।
मंगल पर हेलिकॉप्टर का क्या काम?
गल पर रोटरक्राफ्ट की जरूरत इसलिए है क्योंकि वहां की अनदेखी-अनजानी सतह बेहद ऊबड़-खाबड़ है। मंगल की कक्षा में चक्कर लगा रहे ऑर्बिटर ज्यादा ऊंचाई से एक सीमा तक ही साफ-साफ देख सकते हैं। वहीं रोवर के लिए सतह के हर कोने तक जाना मुमकिन नहीं होता। ऐसे में ऐसे रोटरक्राफ्ट की जरूरत होती है जो उड़ कर मुश्किल जगहों पर जा सके और हाई-डेफिनेशन तस्वीरें ले सके। 2 किलो के Ingenuity को नाम भारत की स्टूडेंट वनीजा रुपाणी ने एक प्रतियोगिता के जरिए दिया था।
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