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NASA ने मंगल की पहली कलरफुल तस्वीर सोशल मीडिया पर किया साझा, Ingenuity के हाई रेजुल्युशन कैमरे ने ऊंचाई से किया कैद

Gulabi
27 April 2021 9:43 AM GMT
NASA ने मंगल की पहली कलरफुल तस्वीर सोशल मीडिया पर किया साझा, Ingenuity के हाई रेजुल्युशन कैमरे ने ऊंचाई से किया कैद
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मंगल (Mars) पर जीवन के प्रमाण की खोज में जुटा नासा (NASA) हर दिन एक कदम आगे बढ़ा रहा है

मंगल (Mars) पर जीवन के प्रमाण की खोज में जुटा नासा (NASA) हर दिन एक कदम आगे बढ़ा रहा है. अब नासा (NASA) ने मंगल ग्रह (Mars) की सतह की पहली कलर फोटोज सोशल मीडिया शेयर की है. ये तस्वीरें मार्टीन वायुमंडल के माध्यम से द्वारा ली गई हैं. अपनी दूसरी सफल उड़ान के दौरान इंजेन्युटी (Ingenuity) ने ली है.

हाई रोजोल्युशन कैमरे से ली गई तस्वीर
इन बेहतरीन तस्वीरों को हेलीकॉप्टर (Helicopter) की सतह से 17 फीट की ऊंचाई पर होने पर खींचा गया. तस्वीर में रोवर (Rover) के टायर के निशान भी दिख रहे हैं. ये रंगीन तस्वीरें इंजेन्युटी के हाई रेजुल्युशन वाले कैमरे से खींची गई हैं. इसमें 4208 x 3120 पिक्सल सेंसर लगा हुआ है. नासा ने बताया कि इन तस्वीरों में पर्सीवरेंस मार्स रोवर के टायर के निशानों को कैद किया गया है. इसके अलावा मंगल की सतह, हवा में ऊंचाई से मार्टियन इलाके भी इन तस्वीरों में नजर आ रहे हैं.
इंजेन्युटी ने रचा है इतिहास
गौरतलब है कि इंजेन्युटी ने पहली बार 18 अप्रैल को मंगल पर इतिहास रचा था. यह पहली बार था जब किसी अन्य ग्रह पर धरती का एयरक्राफ्ट उड़ा था. नासा ने इसे बड़ी उपलब्धि बताया था. आपको बता दें कि Ingenuity ने रविवार को मंगल ग्रह (Planet Mars) पर सफलतापूर्वक अपनी तीसरी उड़ान पूरी की. Ingenuity तीसरी उड़ान में 6.6 फीट प्रति सेकेंड की उच्च रफ्तार तक पहुंचा.
जीवन के प्रमाण की तलाश
दरअसल, Ingenuity हेलिकॉप्टर नासा के परसिवरेंस रोवर के साथ मंगल पर जीवन का प्रमाण ढूंढ रहा है. इंजेन्युटी हेलीकाप्टर मंगल के अलग-अलग क्षेत्रों में जाकर वहां से ऐसे सुबूत इकट्ठे कर रहा है जिससे मंगल पर जीवन के होने का अंदाजा लगाया जा सके. ये मिशन नासा का सब तक का सबसे महत्वाकांक्षी मिशन बताया जा रहा है.
मंगल के सबसे खतरनाक क्षेत्र में उतरा मार्स रोवर
मंगल ग्रह पर के सबसे खतरनाक क्षेत्र में रोवर की लैंडिंग हुई थी. इसके बाद इंजेन्युटी ने वहां सफल उड़ान भी भरी. यहां उड़ान भरना इसलिए बड़ी चुनौती है क्योंकि इसका वायुमंडल पृथ्वी की तुलना में जमीनी स्तर पर सिर्फ एक प्रतिशत है. इसका मतलब है कि उड़ान भरने के लिए, हेलीकॉप्टर को बेहद हल्का होना चाहिए और उड़ान भरने के लिए इसके ब्लेड बेहद तेजी से घूमने चाहिए.
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