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अपने अंतरिक्ष स्टेशन का इस्तेमाल सैन्यकरण के लिए कर सकता है.
लोगों के बीच अकसर ये जानने की उत्सुकता बनी रहती है कि अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (International Space Station) पर एस्ट्रोनॉट कैसे काम करते हैं? अब अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (National Aeronautics and Space Administration) ने अपने हालिया ट्वीट में इसके बारे में बताया है. नासा ने एक वीडियो शेयर किया है, जिसमें यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ईएसए) के फ्रांसीसी अंतरिक्षयात्री थॉमस पेसकट और नासा के शेन किमबर्ग आईएसएस पर सोलर पैनल लगाते हुए दिख रहे हैं. ये काम आईएसएस में बिजली की सप्लाई सुनिश्चित करने के लिए किया गया है.
😎 How about that view? 255 miles (410 kilometers) above Earth, @Thom_Astro (suit with red stripes) and @Astro_Kimbrough continue making progress upgrading the @Space_Station's power supply. pic.twitter.com/KLBl4x2Qb9
— NASA (@NASA) June 25, 2021
थॉमस और शेन को धरती से 410 किलोमीटर की दूरी पर स्पेसवॉक करते हुए देखा जा सकता है. इस स्पेसवॉक के दौरान सिक्स रोल-आउट सोलर एरे (iROSA) को इंस्टॉल किया गया है. जो इसी महीने की शुरुआत में स्पेसएक्स ड्रैग्न अंतरिक्ष यान के जरिए यहां पहुंचे हैं. इससे पहले इसी हफ्ते की शुरुआत में भी कुछ सोलर पैनल लगाए गए थे. सोलर एरे आईएसएस में काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. स्पेस स्टेशन सोलर एरे के चार पेयर का इस्तेमाल करता है, जो सूरज से ऊर्जा लेकर विभिन्न रिसर्च और वैज्ञानिक अनुसंधानों के लिए प्रतिदिन बिजली मुहैया कराते हैं.
मिशन पूरे करने के लिए जरूरी है ISS
इन्हीं के जरिए पृथ्वी के छोर में कई मिशन को अंजाम दिया जाता है. अंतरिक्ष स्टेशन नासा के महत्वकांशी आर्टिमीज मिशन के लिए स्प्रिंगबोर्ड की तरह काम काम करेगा. जिसके तहत चंद्रमा पर अंतरिक्षयात्री भेजे जा रहे हैं. नासा का कहना है कि स्पेस स्टेशन का इस्तेमाल मंगल पर भविष्य में होने वाले मिशन और डीप स्पेस मिशन के मानव अन्वेषण के लिए उन्नत प्रौद्योगिकियों का परीक्षण करने के लिए किया जाएगा. यहां फिलहाल आठ सोलर एरे हैं, जो दिन के समय 160 किलोवाट की बिजली पैदा करते हैं.
बैटरी में स्टोर होती है बिजली
जितनी बिजली पैदा की जाती है, उसमें से आधी को स्टेशन की बैटरी में स्टोर किया जाता है. जिसका इस्तेमाल उस समय किया जाता है, जब स्पेस स्टेशन में सूरज की रोशनी नहीं आती. हर एक सोलर एरे 20 किलोवाट से अधिक बिजली पैदा करता है. गौरतलब है कि हाल के दिनों में अंतरिक्ष स्टेशन को लेकर चर्चा इसलिए भी तेज हुई है क्योंकि चीन भी अपना अंतरिक्ष स्टेशन बना रहा है. वह इस वर्तमान आईएसएस का हिस्सा नहीं है. ऐसा अनुमान है कि वह अपने अंतरिक्ष स्टेशन का इस्तेमाल सैन्यकरण के लिए कर सकता है.
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