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NASA के वैज्ञानिकों का खुलासा- चांद से आती है बारूद जैसी महक, जानिए वर्तमान से जुड़ी ऐसी ही कई रोचक बाते

Neha Dani
11 Dec 2021 2:30 AM GMT
NASA के वैज्ञानिकों का खुलासा- चांद से आती है बारूद जैसी महक, जानिए वर्तमान से जुड़ी ऐसी ही कई रोचक बाते
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यहां दिखने वाले रेत के टीले पूरी दुनिया में सबसे बड़े हैं.

नासा (Nasa) के वैज्ञानिकों का कहना है कि चांद (Moon) से बारूद (Gunpowder) जैसी महक आती है. इसी तरह साइंस मैगजीन sciencefocus.com में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक मून मिशन अपोलो (Apollo) के अंतरिक्षयात्री (Astronauts) जब धरती पर लौटे थे तब उनकी बातचीत और जांच के लिए धरती (Earth) पर लाए गए पार्टिकिल्स की जांच के दौरान ऐसा खुलासा हुआ था.

नो मैन्स लैंड
अंतरराष्ट्रीय कानून के अनुसार ये दो देशों की सीमाओं के बीच का खाली इलाका होता है जिसे कोई भी देश कानूनी तौर पर नियंत्रित नहीं करता है. हालांकि इस पर कानूनी दावा किया जा सकता है. लेकिन अफ्रीका में एक जगह है जिस पर कोई भी देश अपना अधिकार नहीं चाहता. बीर ताविल नाम का ये इलाक़ा 2,060 वर्ग किलोमीटर का है और मिस्र और सूडान की सीमाओं के बीच है. बीबीसी में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक ये इलाक़ा 20वीं सदी की शुरुआत में अस्तित्व में आया जब मिस्र और सूडान ने अपनी सीमाएं कुछ इस तरह से बनाईं कि ये इलाक़ा दोनों में से किसी का भी नहीं रहा. बीर ताविल सूखाग्रस्त इलाका है जिसकी जमीन बंजर है. इसलिए इस पर कोई भी देश दावा नहीं करना चाहता.
दुनिया का चक्कर लगाने वाला पहला व्यक्ति?
क्या पुर्तगाली खोजकर्ता फर्डिनेंड मैगलन दुनिया का चक्कर लगाने वाले पहले व्यक्ति थे और क्या उन्होंने दुनिया के सबसे बड़े समंदर को अपना नाम दिया था? ऐसा नहीं है. हालांकि, इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि 1480 में जन्मे फर्डिनेंड मैगलन पहले यूरोपीय थे जिन्होंने प्रशांत महासागर को पार किया था. 1519 में मैगलन अपने दल के साथ समंदर के रास्ते स्पाइस द्वीप खोजने के लिए निकले थे. तीन साल बाद ये दल उसी जगह लौटा जहां से वो चला था. हालांकि स्पेन से चली इस यात्रा को पूरा करने की खुशी मनाने के लिए कम ही लोग जिंदा बचे थे. खुद मैगलन को मार दिया गया. कहा जाता है कि इस सफ़र में जो तीन दूसरे कप्तान थे, वो मैगलन को जान से मार देने की कोशिश कर रहे थे. जिसमें से एक को मैगलन ने नाव से फ़ेंक दिया था. फिर अगली मुश्किल ये आई कि इक्वेटर के पास पहुंचने पर पानी के बहाव में बहुत तेज़ी आ गई. जिससे निकल पाना बड़ा कठिन था. फिर जब मैगलन और उनका ग्रुप साउथ अमेरिका के गुआम पहुंचा तो वहां के लोकल लोगों ने जहाज से इनका बहुत सारा सामान पार कर दिया. आगे जाकर इसकी वजह से इन लोगों को बहुत परेशानी उठानी पड़ी.
सारगास्सो सागर
माना जाता है कि सागर के छोर को मापना आसान नहीं है. समंदर के अंदरूनी छोर का शायद पता न चल सके, हालांकि रूस और जापान ने समुद्र में सैकड़ों फीट ड्रिल करने की कोशिश की है. हालांकि कुदरत की इस पहेली को वो भी नहीं भेद पाए. लेकिन इसका कम से कम एक किनारा ज़रूर होता है. कई समंदर तो चारों तरफ से जमीन से घिरे होते हैं, जैस कि भूमध्य सागर और काला सागर. कभी-कभी ऐसा भी होता है कि सागर कहां महासागर में मिल जाते हैं पता नहीं चलता लेकिन ऐसे में द्वीपों की माला को जोड़ कर देखा जाए तो इसकी जानकारी भी लगाई जा सकता है. लेकिन एक ऐसा समंदर है जिसके किसी किनारे कोई ज़मीन नहीं है. ये है सारगास्सो सागर. oceanservice.noaa.gov में प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक ये अटलांटिक सागर के पश्चिम में है और उत्तर अटलांटिक में एक तरफ को मुड़ती लहरें ही इसकी सीमा बनाती हैं. अटलांटिक की मुड़ती लहरों के कारण सारगास्सो सागर का पानी शांत रहता है.
रेगिस्तान से सागर का मिलन
नामीबिया में एक ऐसी जगह है, जहां अटलांटिक महासागर यहां के वेस्ट कोस्ट रेगिस्तान से मिलता है. यह दुनिया का सबसे पुराना रेगिस्तान है, जो करीब साढ़े पांच करोड़ साल से भी ज्यादा पुराना है. खास बात ये है कि यहां दिखने वाले रेत के टीले पूरी दुनिया में सबसे बड़े हैं.
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