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वैसे तो पृथ्वी में हर रोज़ कहीं न नहीं छोटे-मोटे एस्टेरॉइड कहीं न कहीं गिरते रहते हैं
Asteroid Attack: वैसे तो पृथ्वी में हर रोज़ कहीं न नहीं छोटे-मोटे एस्टेरॉइड कहीं न कहीं गिरते रहते हैं, जिन्हे हम टूटता हुआ तारा कहते हैं, पिछले महीने ही राजस्थान में एक साथ कई उल्कापिंडों की बरसात हुई थी. ज़्यादातर एस्टेरोइड समुद्र में गिर जाते हैं. लेकिन एक विशालकाय उल्कापिंड पृथ्वी की और तेज़ी से बढ़ रहा है, जो 11 फरवरी को पृथ्वी की कक्षा से बेहद नजदीक से गुजरेगा। इस खगोलीय घटना को लेकर अमेरिकी स्पेस एजेंसी NASA ने चेतावनी भी जारी की है।
अच्छा जिन लोगों को ऐसी 11 फरवरी को यह नज़ारा देखने को मिलेगा 11 फरवरी को एक बड़ा एस्टेरॉइड पृथ्वी के बेहद करीब से गुजर जाएगा, हालांकि यह इतनी दूरी पर होगा कि पृथ्वी का गुरुत्वाकर्षण बल से इस ओर नहीं आएगा। लेकिन अगर ऐसा हो गया तो समझिये एक साथ सैंकड़ों परमाणु बम फटने जैसे हालात निर्मित हो जाएंगे। शुकर है ऐसा नहीं होगा।
11 फरवरी को यह नज़ारा देखने को मिलेगा 11 फरवरी को एक बड़ा एस्टेरॉइड पृथ्वी के बेहद करीब से गुजर जाएगा, हालांकि यह इतनी दूरी पर होगा कि पृथ्वी का गुरुत्वाकर्षण बल से इस ओर नहीं आएगा। लेकिन अगर ऐसा हो गया तो समझिये एक साथ सैंकड़ों परमाणु बम फटने जैसे हालात निर्मित हो जाएंगे। शुकर है ऐसा नहीं होगा।
कितना बड़ा है वैज्ञानिकों का कहना है कि पृथ्वी की कक्षा से गुजर रहे इस एस्टेरॉइड का नाम 138971 (2001 CB21) है और यह एम्पायर स्टेट बिल्डिंग से भी कई गुना बड़ा है। लगभग इसकी चौड़ाई 4 हज़ार 200 फ़ीट है जो पृथ्वी से जीवन का नामोनिशान मिटा देने के काफी है। NASA ने 138971 (2001 CB21) को पृथ्वी के सबसे नजदीक गुजरने वाले उल्कापिंडों ली लिस्ट में शामिल किया है। यह पृथ्वी से लगभग 3 मिलियन मील की दूरी से निकलेगा।
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