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जैसे ही शुक्र ग्रह पर तीन मिशन भेजने का ऐलान हुआ है, वैसे ही लोगों का ध्यान एक बार फिर 'जहन्नुम' माने जाने वाले इस ग्रह की ओर खींच चला आया है.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। दुनियाभर की कई स्पेस एजेंसियां इस बात की जांच में जुटी हुई हैं कि अगर पृथ्वी पर जीवन खत्म होगा (How life will end on Earth) तो वो कैसे होगा. ऐसे में इस सवाल का जवाब ढूंढ़ने में NASA सबसे आगे नजर आ रहा है. पृथ्वी के खात्मे के रहस्य को उजागर करने के लिए NASA तैयार है, ताकि धरती को होने वाले संभावित खतरे का पता लगाया जा सके. इसके लिए, NASA और यूरोपियन स्पेस एजेंसी (ESA) शुक्र ग्रह (Venus) के लिए तीन मिशनों को लॉन्च करेंगी. इन मिशनों के जरिए ये पता लगाया जाएगा कि पृथ्वी का विकास कैसे हुआ. इसके अलावा, ये भी पता लगाया जाएगा कि क्या शुक्र की तरह पृथ्वी भी एक दिन रहने लायक नहीं रहेगी.
ऐसे समय में जब दुनियाभर के वैज्ञानिकों की निगाह मंगल ग्रह पर है, क्योंकि लगभग हर स्पेस एजेंसी अपने मंगल मिशन को लॉन्च करने में जुटी हुई है. वहीं, जैसे ही शुक्र ग्रह पर तीन मिशन भेजने का ऐलान हुआ है, वैसे ही लोगों का ध्यान एक बार फिर 'जहन्नुम' माने जाने वाले इस ग्रह की ओर खींच चला आया है. जहां अमेरिकी स्पेस एजेंसी NASA अपने DAVINCI + और वेरिटास (Veritas) मिशन को लॉन्च करेगी. वहीं, यूरोपियन स्पेस एजेंसी एनविजन (EnVision) को लॉन्च करने वाली है. ऐसे में कई सालों से दुनिया की अनदेखी का शिकार रहे शुक्र ग्रह पर लोगों का ध्यान एक बार फिर पड़ा है.
तीनों मिशनों का क्या है लक्ष्य?
वैज्ञानिकों की मानें तो इन मिशनों के जरिए ये पता लगाया जाएगा कि पृथ्वी पर एक दिन जीवन किस तरह खत्म होगा? अभी तक हमारे पास शुक्र ग्रह को लेकर ज्यादा जानकारी नहीं है. हालांकि, पृथ्वी और शुक्र ग्रह के बीच कई समानताएं हैं, जिसमें आकार, सूर्य से इसकी दूरी शामिल हैं. हालांकि, दोनों ग्रहों के बीच काफी असमानताएं भी है. इसमें एक पर जीवन मौजूद होना और दूसरे का बेजान होना शामिल है. दोनों स्पेस एजेंसियों के मिशन का मकसद वैज्ञानिकों को यह समझने में मदद करना है कि पृथ्वी और शुक्र अलग-अलग ग्रह हैं या शुक्र कभी पृथ्वी जैसा था. अगर शुक्र ग्रह पृथ्वी जैसा ही था, तो आखिर वो क्या वजह थी जिसने इसे 'आग के गोले' में तब्दील कर दिया.
शुक्र ग्रह का तापमान 470 डिग्री सेल्सियस
एस्ट्रोनोमर पॉल बायर्न (Paul Byrne) ने BBC के साइंस फोकस कार्यक्रम में बताया कि शुक्र ग्रह पर तापमान लगभग 470 डिग्री सेल्सियस है. ऐसे में अगर कोई व्यक्ति शुक्र की सतह पर चलता है तो वह कुछ सेकेंड के भीतर ही राख हो जाएगा. वहीं, शुक्र ग्रह के वायुमंडल में 96.5 फीसदी कार्बन डाइऑक्साइड है, इसलिए मनुष्य इसमें सांस नहीं ले पाएगा. इस तरह अब वैज्ञानिक यह पता लगाने की कोशिश करेंगे कि शुक्र के विनाश का असली कारण क्या है. अगर इस सवाल का जवाब मिल जाएगा तो भविष्य में पृथ्वी को खत्म होने से भी बचाया जा सकता है.
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