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नासा के मंगल ग्रह पर भेजे गए क्यूरोसिटी रोवर ने वहां पर बादलों की तस्वीर ली है
नासा के मंगल ग्रह पर भेजे गए क्यूरोसिटी रोवर ने वहां पर बादलों की तस्वीर ली है, जो वहां के वातावरण के हिसाब से काफी बेहद दुर्लभ है। मंगल का वातावरण काफी पतला और ड्राई है। नासा के मुताबिक मंगल पर इस तरह के बादल वर्ष के सबसे ठंडे दिनों में उसकी भूमध्य रेखा के ऊपर दिखाई देते हैं। ये रेखा काल्पनिक है और इसको मंगल के अपनी धुरी पर घूमने के मुताबिक तय किया गया है। जिस वक्त ऐसा होता है उस वक्त लाल ग्रह सूर्य से काफी दूरी पर होता है। आपको बता दें कि मंगल ग्रह का एक वर्ष धरती पर बिताए जाने वाले दो वर्ष के बराबर होता है।
नासा ने अब क्यूरोसिटी रोवर के ऊपर इन बादलों को बनते हुए देखा है जो उम्मीद से कहीं अलग है। नासा इसको लेकर एक डॉक्यूमेंट तैयार कर रहा है। नासा के मुताबिक ये बादल काफी चमकीले थे और कुछ में अलग-अलग रंग भी दिखाई दे रहे थे। वैज्ञानिक अब इस बात का पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि ऐसा कैसे संभव हुआ है और मंगल पर ये बादल कैसे बने हैं।
Just watching the clouds drift by…on Mars. @MarsCuriosity has captured new images of clouds in the Martian sky, and discovered a few surprises about them as well. See more at https://t.co/iuO2xP40xQ pic.twitter.com/mi9Pn9goKV
— NASA Mars (@NASAMars) May 28, 2021
हालांकि इस तस्वीर के साथ ये भी बात सच हुई है कि इस टीम ने एक नई खोज को अंजाम दिया है। नासा ने क्यूरोसिटी के जरिए जिन बादलों का पता लगाया है वो काफी ऊंचाई पर थे, जबकि मंगल पर दिखाई देने वाले बादल अधिकतम 60 किमी की ऊंचाई पर ही होते हैं। इनमें पानी और बर्फ होने की भी संभावना जताई गई है। लेकिन क्यूरोसिटी ने जिन बादलों की तस्वीर ली है वो न सिर्फ काफी ऊंचाई पर थे, जहां ये काफी ठंडे होंगे। वैज्ञानिकों का मानना है कि ये या तो बर्फ के जमने या फिर कार्बनडाईआक्साइड के जम जाने से हुआ होगा।
हालांकि वैज्ञानिकों ने तस्वीरों की और बेहद तरह से जांच और विश्लेषण करने का भी फैसला किया है जिससे किसी नतीजे पर पहुंचा जा सके। क्यूरोसिटी ने इनकी ब्लैक एंड व्हाइट तस्वीर ली है। हालांकि क्यूरोसिटी पर लगे मास्ट कैमरे से इनकी रंगीन तस्वीरें भी ली गई है। आपको बता दें कि नासा ने मार्च में क्यूरोसिटी के जरिए मंगल के आसमान में दिखाई दिए बादलों की कई तस्वीरें ली हैं। इन तस्वीरों से वैज्ञानिक मंगल को लेकर काफी उत्साहित हैं।
क्यूरोसिटी रोवर ने ये तस्वीरें वहां के गेल क्रेटर के ऊपर बादलों का तस्वीर ली है। नासा के इस रोवर को इस लाल ग्रह पर करीब दो वर्ष हो चुके हैं। इससे पहले इस तरह की तस्वीर वैज्ञानिकों को देखने को नहीं मिली हैं। इन तस्वीरों के सामने आने के बाद वैज्ञानिक इस बात की भी जांच कर रहे हैं कि अभी मंगल पर सर्द समय नहीं है। ऐसे में इन बादलों के बनने की वजह क्या हो सकती है। क्यूरोसिटी की खींची गई इन तस्वीरों के जरिए वैज्ञानिक ये भी मान रहे हैं कि इनमें बर्फ के क्रिस्टल हो सकते हैं, जिससे सूरज की रोशनी इनसे परावर्तित हो रही है।
वैज्ञानिक इनमें मौजूद रंगों इंद्रधनुषी बादल भी कह रहे हैं। ये तस्वीरें सूरज के छिपने के दौरान की हैं। ऐसे समय में दिखाई देने वाले बादलों को वैज्ञानिक ट्विलाइट क्लाउड्स और नॉक्टील्यसेंट कहते हैं। जैसे जैसे इनमें क्रिस्टल की मात्रा अधिक होती है वैसे वैसे ही इनकी चमक भी अधिक होती जाती है। सूरज के ढलने के साथ ही बादलों में मौजूद बर्फ के क्रिस्टल चमकने लगते हैं। ऐसे में जब इनके दूसरी तरफ से रोशनी पड़ती है तो ये सतरंगी दिखाई देने लगते हैं।
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