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सौर मंडल के सबसे बड़े ग्रह बृहस्पति के पीछे-पीछे ऐस्टरॉइड्स भी सूरज का चक्कर काटते हैं जिन्हें
सौर मंडल के सबसे बड़े ग्रह बृहस्पति के पीछे-पीछे ऐस्टरॉइड्स भी सूरज का चक्कर काटते हैं जिन्हें Trojan asteroid कहते हैं। अमेरिकी स्पेस एजेंसी NASA के हबल टेलिस्कोप ने इन ऐस्टरॉइड्स के बीच एक विशाल धूमकेतु पाया है। NASA ने बताया है कि सूरज की ओर अरबों मील तक सफर करने के बाद अब यह धूमकतु रास्ते में आराम करता मिला है। यह ऐस्टरॉइड्स के बीच मौजूद है और ऐसा धूमकेतु पहली बार देखा गया है। अब यह जानने की कोशिश की जा रही है कि यह धूमकेतु वहां पहुंचा कैसे।
क्या है यह धूमकेतु?
एक अनैलेसिस के मुताबिक यह धमूकेतुओं की Centaurs फैमिली का है। ये बर्फीले धूमकेतु होते हैं जो बृहस्पति और वरुण ग्रह के बीच आते हैं। वैज्ञानिकों ने इसे P/2019 LD2 नाम दिया है और भविष्य में इसके रास्ते और कक्षा का आकलन किया है। LD2 बृहस्पति के पास दो साल पहले आया था और अब दो साल बाद वापस आएगा। सिम्यूलेशन के मुताबिक करीब 5 लाख साल में ऐसी 90% संभावना होगी कि यह सोलर सिस्टम से बाहर निकल जाएगा और एक इंटरस्टेलार धूमकेतु बन जाएगा।
वहां कैसे पहुंचा?
जॉन्स हॉपकिंस यूनिवर्सिटी अप्लाइड फिजिक्स लैबोरेटरी (APL) के कैरी लीस ने बताया है, 'दिलचस्प बात यह है कि आप बृहस्पति को इस ऑब्जेक्ट को दूर फेंकते और कक्षा में इसके व्यवहार को बदलते और फिर अंदरूनी सिस्टम में लौटते देखेंगे।' LD2 की तरह कम अंतराल वाले धूमकेतु सूरज की ओर फेंके जाते हैं, जिससे ये टूट जाते हैं, किसी ग्रह से टकराते हैं या बार-बार बृहस्पति के पास आते हैं और कभी सूरज सिस्टम से बाहर चले जाते हैं।
4 लाख मील लंबी है पूंछ
कैलिफोर्निया के पैसडीना की Caltech में ब्राइस बॉलिन बताते हैं, 'सिर्फ हबल ही सक्रिय धूमकेतु जैसे फीचर्स को इतनी दूर से इतनी डीटेल में डिटेक्ट कर सकता है और तस्वीरों में ये फीचर साफ दिखते हैं, जैसे करीब 4 लाख मील लंबी चौड़ी पूंछ और हाई-रेजॉलूशन फीचर्स कोमा और जेट्स की वजह से।' इस तरह का रास्ता पकड़ने के लिए यह बृहस्पति की कक्षा में सटीक ट्रैजेक्टरी पर आया था जिससे ऐसा लगता है कि यह बृहस्पति की कक्षा में ही है।
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