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विमानों के मलबे का मिलना मुश्किल होता है इसलिए लापता होने के बाद कोई सबूत नहीं मिलता।
दुनिया की सबसे रहस्यमय जगहों में एक नाम बरमूडा ट्रायंगल का भी है। कहा जाता है कि समुद्र के इस रहस्यमय क्षेत्र के ऊपर से गुजरने वाली हर चीज को एक अदृश्य शक्ति नीचे खींच लेती है। अब एक वैज्ञानिक ने दावा किया है कि उसने बरमूडा ट्रायंगल की गुत्थी सुलझा ली है। कार्ल क्रुज़ेलनिकिक ने कहा कि पानी में कई विमान और जहाजों के बिना किसी सबूत के गायब होने का संबंध किसी एलियंस बेस या 'अटलांटिस के खोए हुए शहर' से बिल्कुल नहीं है।
मेट्रो की खबर के अनुसार ऑस्ट्रेलियाई वैज्ञानिक का मानना है कि बरमूडा ट्रायंगल में बड़ी संख्या में जहाजों और विमानों के गायब होने के पीछे मानवीय गलतियां और खराब मौसम से ज्यादा कुछ नहीं है। इसे 'डेविल्स ट्रायंगल' के नाम से भी जाना जाता है। यह समुद्र में 700,000 वर्ग किमी का एक व्यस्त क्षेत्र है इसलिए यहां दुर्घटनाएं अधिक होती हैं। वैज्ञानिक ने कहा कि बरमूडा ट्रायंगल भूमध्य रेखा के पास है और अमेरिका से इसकी दूरी बेहद कम है इसलिए यहां ट्रैफिक अधिक होता है।
ऊंची लहरों ने बिगाड़ी विमानों की स्थिति
क्रुज़ेलनिकिक ने कहा कि अमेरिकी तटरक्षक और Lloyd's of London के मुताबिक बरमूडा ट्रायंगल में लापता होने का आंकड़ा प्रतिशत के आधार पर दुनिया की किसी भी अन्य जगह के समान ही है। उन्होंने फ्लाइट-19 के पांच विमानों के लापता होने की भी वजह बताई जिसके गायब होने के बाद से बरमूडा ट्रायंगल के रहस्य की शुरुआत हुई थी। उन्होंने कहा कि वास्तव में उस दिन 15 मीटर ऊंची लहरें उठ रही थीं जिन्होंने विमानों पर गहरा प्रभाव डाला।
पायलट के गलती से डूबे पांचों विमान
उन्होंने कहा कि उस उड़ान में एकमात्र अनुभवी पायलट उनके लीडर लेफ्टिनेंट चार्ल्स टेलर थे जिनकी मानवीय गलतियां इस हादसे का कारण बनीं। उन्होंने कहा कि पेट्रोल के बहने से पहले की रेडियो ट्रांसक्रिप्ट ने स्पष्ट किया था कि फ्लाइट-19 अपनी वास्तिवक स्थिति से भटक गया था। गहरे पानी में जहाजों और विमानों के मलबे का मिलना मुश्किल होता है इसलिए लापता होने के बाद कोई सबूत नहीं मिलता।
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