विश्व

कोविड-19 संक्रमण को नियंत्रित करने के लिए म्यांमार के सैन्य शासक ने अंतरराष्‍ट्रीय समुदाय से मांगा सहयोग

Gulabi
28 July 2021 3:13 PM GMT
कोविड-19 संक्रमण को नियंत्रित करने के लिए म्यांमार के सैन्य शासक ने अंतरराष्‍ट्रीय समुदाय से मांगा सहयोग
x
जिस वक्त पूरा विश्व महामारी को नियंत्रित करने के लिए जंग लड़ रहा था

यांगून, एजेंसियां: जिस वक्त पूरा विश्व महामारी को नियंत्रित करने के लिए जंग लड़ रहा था, तब जुंटा ने म्यांमार में तख्तापलट कर जनता द्वारा चुनी हुई सरकार को उखाड़ फेंका और अब हालात काबू से बाहर हो चले हैं। फरवरी में तख्तापलट के बाद से लोकतंत्र के समर्थक विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं, इस दौरान लोग बड़ी तादाद में कोरोना संक्रमित हुए। तख्तापलट के चलते देश का बुनियादी ढांचा बुरी तरह से हिल गया है, वहीं भारी बारिश के बाद बाढ़ के हालातों ने स्थिति को बद से बदतर कर दिया है। अब देश ने सैन्य शासक ने अंतराष्ट्रिय समुदाय से कोविड-19 संक्रमण को नियंत्रित करने के लिए मदद की अपील की है।

आसियान से सहयोग की अपील
राज्य की मीडिया द्वारा जारी की गई जानकारी की मुताबिक, जुंटा के सीनियर जनरल मिन आंग हलिंग ने 'आसियान' और अपने 'मित्र देशों' से COVID-19 की रोकथाम, नियंत्रण और मरीजों के इलाज के लिए, अपने एक भाषण में सहयोग की अपील की है। बताया जा रहा है कि, हलिंग ने देश में टीकाकरण की दर को बढ़ाने की बात कही है। इसके लिए उन्होंने सहायता में प्राप्त वैक्सीन और रूस की मदद से घरेलू उत्पादन दोनों के माध्यम से टीकाकरण को बढ़ाने की बात कही है। साथ ही हलिंग ने आसियान कोविड-19 फंड से आर्थिक सहायता की भी मांग रखी है।
ऑक्सीजन की कमी से मौत
रॉयटर्स के अनुसार, म्यांमार को हाल ही में बीस लाख अधिक चीनी टीके प्राप्त हुए हैं, लेकिन ऐसा माना जा रहा है कि इनसे सिर्फ 3.2फीसदी आबादी का ही टीकाकरण हुआ है। साथ ही सामने आया है की, देश के कई हिस्सों में लोग ऑक्सीजन की भारी कमी से जूझ रहे हैं। खबरों के मुताबिक, यांगून के एक अस्पताल में एक पाइप ऑक्सीजन प्रणाली के विफल होने से कम से कम आठ लोगों की मौत हो गई।
जून से संक्रमण में आया उछाल
स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी किए गए आंकड़ों को अनुसार, म्यांमार में जून के महीने से संक्रमण के मामलों में बड़ा उछाल दर्ज किया गया है। मंगलवार को यहां संक्रमण के 4,964 नए मामले सामने आए, वहीं कुल 338 मौतों की पुष्टी हुई है। जानकारों का मानना है की, सरकार के जारी आंकड़ों की तुलना में वास्तविक आंकड़े कहीं अधिक हैं।
Next Story