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छह लाख डॉलर की रिश्वत ली. हालांकि, उनके वकीलों का कहना है कि ये सिर्फ बेबुनियादी आरोप हैं.
म्यांमार (Myanmar) की सिविलियन नेता आंग सान सू की (Aung San Suu Kyi) दो महीने से सेना की हिरासत में हैं, लेकिन उनका स्वास्थ्य बिल्कुल ठीक है. उनकी लीगल टीम ने इसकी जानकारी दी. सैन्य तख्तापलट (Military Coup) के बाद से ही सेना पर लगातार राजनयिक दबाव बनाया जा रहा है. देश में हर दिन होने वाले प्रदर्शनों के जरिए म्यांमार में लोकतंत्र (Democracy) की बहाली की मांग की जा रही है. हालांकि, प्रदर्शनकारियों को सेना की क्रूर कार्रवाई का सामना करना पड़ रहा है. गौरतलब है कि एक फरवरी को हुए सैन्य तख्तापलट के बाद से हो रहे प्रदर्शनों में 520 नागरिकों की मौत हो चुकी है.
सेना की हिंसक कार्रवाई के चलते इसकी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आलोचना की जा रही है. अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने गैर-आवश्यक राजनयिक कर्मचारी और उनके परिवार को म्यांमार छोड़ने का आदेश दिया है. म्यांमार को सबसे ज्यादा दान देने वाले मुल्क जापान ने भविष्य में दी जाने वाली आर्थिक सहायता को रोक दिया है. एक फरवरी को हुए सैन्य तख्तापलट के बाद से 75 वर्षीय सू की को सार्वजनिक रूप से नहीं देखा गया है. सेना ने उन्हें नजरबंद किया हुआ है.
सू की पर लगाए गए हैं गंभीर आरोप
सू की के लीगल टीम के एक सदस्य मिन मिन सो को बुधवार को उनके साथ वीडियो मीटिंग के लिए राजधानी नेपीडा के एक पुलिस स्टेशन में बुलाया गया. देश की सिविलियन नेता पर गंभीर आपराधिक आरोप लगाए गए हैं. अगर आरोप साबित हो जाते हैं तो उन्हें आजीवन राजनीतिक पद से हटाए जाने की सजा मिल सकती है. उनकी लीगल टीम ने एक बयान जारी कर कहा, वीडियो स्क्रीन पर उन्हें देखकर लग रहा था कि सू की की शारीरिक स्थिति अच्छी थी.
गुरुवार को अदालत में पेश होंगी सू की
बयान में कहा गया कि सू की ने बताया कि इस मीटिंग के दौरान वकीलों के साथ पुलिस अधिकारी खड़े थे. इस दौरान गार्ड्स उनकी बातचीत को सुनने का प्रयास कर रहे थे. वहीं, ये सब देखकर नोबेल पुरस्कार विजेता ने पूछा कि क्या ऐसा करना वैध है. गुरुवार को सू की को अदालत में सुनवाई के लिए पेश होना है. बता दें कि म्यांमार की सेना ने सू की पर आरोप लगाया है कि उन्होंने सोने और छह लाख डॉलर की रिश्वत ली. हालांकि, उनके वकीलों का कहना है कि ये सिर्फ बेबुनियादी आरोप हैं.
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