विश्व

मुसलमानों यहूदियों और ईसाइयों ने बर्लिन में रखी नींव, धार्मिक एकता कायम करेगा हाउस ऑफ वन

Apurva Srivastav
28 May 2021 3:54 PM GMT
मुसलमानों यहूदियों और ईसाइयों ने बर्लिन में रखी नींव, धार्मिक एकता कायम करेगा हाउस ऑफ वन
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यहूदियों और ईसाइयों का एक ग्रुप गुरुवार को एक सेंटर की आधारशिला रखने के लिए इकट्ठा हुआ

मुसलमानों, यहूदियों और ईसाइयों का एक ग्रुप गुरुवार को एक सेंटर (Center) की आधारशिला रखने के लिए इकट्ठा हुआ, जो जर्मन राजधानी में 'अंतर-धार्मिक संवाद' के प्रतीक के रूप में प्रत्येक धर्म के लिए पूजा स्थलों का निर्माण करेगा. इसके संस्थापकों ने कहा कि गाजा (Gaza) में इजरायल के हमलों को लेकर बर्लिन में विरोध प्रदर्शनों के कुछ दिनों बाद और ऐसे समय में जब राजनेता जर्मनी (Germany) में यहूदी-विरोध के बढ़ने की चेतावनी दे रहे हैं, 'हाउस ऑफ वन' (House of One) संवाद के लिए आशा की एक किरण है.

बर्लिन के मेयर माइकल मुलर ने समारोह में कहा कि यह महत्वपूर्ण है कि जर्मन राजधानी में नाटकीय विश्व संघर्षों पर चर्चा की जा सके और लोगों के पास अपने देशों में समस्याओं को उजागर करने और अपनी राय रखने के लिए एक मंच हो. उन्होंने कहा कि नफरत, हिंसा, यहूदी-विरोध और इस्लामोफोबिया, नस्लवाद और उकसावे का हमारे समाज में कोई स्थान नहीं है.
चार साल में तैयार हो जाएगा 'हाउस ऑफ़ वन'
लंबी वर्गाकार मीनार वाली इस इमारत में धार्मिक सेवाओं के लिए अलग-अलग कमरे और बैठक के लिए एक कॉमन एरिया होगा. जर्मनी के सेंट्रल काउंसिल ऑफ यहूदियों और सेंट्रल काउंसिल ऑफ मुस्लिम्स के प्रमुखों ने इस परियोजना और धार्मिक एकता का स्वागत किया है जिसका उद्देश्य इसे संभव बनाना है.
10 साल की योजना के बाद शुरू हुए निर्माण कार्य में चार साल लगेंगे और इसकी लागत 47.3 मिलियन यूरो (57.67 मिलियन डॉलर) होगी. जर्मन सरकार 20 मिलियन यूरो (24.39 मिलियन डॉलर), बर्लिन शहर 10 मिलियन यूरो (12.19 मिलियन डॉलर) का योगदान दे रही है और बाकी विदेशों से दान सहित अन्य योगदानकर्ताओं से आएगा.
चर्च की साइट पर होगा निर्माण
यह सेंटर एक 13वीं सदी के चर्च की साइट पर बनाया जाएगा जिसे 1960 के दशक में कम्युनिस्ट पूर्वी जर्मन सरकार द्वारा नष्ट कर दिया गया था. जर्मनी में प्रोटेस्टेंट चर्च के प्रमुख हेनरिक बेडफोर्ड-स्ट्रोम ने आरएनडी मीडिया को बताया कि 'हाउस ऑफ़ वन प्रोजेक्ट' इस समय एक अहम संदेश देता है. उन्होंने कहा कि दुनिया में यहूदी-विरोध और इस्लामोफोबिया तेजी से बढ़ रहा है. ये लोगों को गलत दिशा में ले जाते हैं और नफरत को हवा देते हैं. ये संभावित रूप से हिंसा की ओर ले जाते हैं.


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