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लाल ग्रह पर की सतह पर मशरूम और 1977 में मिला रेडियो सिग्नल, क्या यही इशारा है एलियंस के वजूद का?

Gulabi
19 Jun 2021 4:30 PM GMT
लाल ग्रह पर की सतह पर मशरूम और 1977 में मिला रेडियो सिग्नल, क्या यही इशारा है एलियंस के वजूद का?
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वैज्ञानिकों ने हाल ही में मंगल ग्रह पर मशरूम जैसी चीज मिलने का दावा किया था

वैज्ञानिकों ने हाल ही में मंगल ग्रह पर मशरूम जैसी चीज मिलने का दावा किया था. उन्होंने नासा के क्यूरोसिटी रोवर द्वारा जारी तस्वीरों के बाद ऐसा कहा था (Mushrooms on Mars). इससे पहले साल 2004 में मंगल पर उतरने के ठीक बाद नासा के मार्स एक्सप्लोरेशन रोवर ऑपर्च्युनिटी पर लगे कैमरों ने इसकी खोज की थी.

मंगल पर जो पदार्थ मिला है, वह जीवित अवस्था में नहीं है बल्कि 'हेमेटाइट कंक्रिशन' हैं. हेमेटाइट आयरन और ऑक्सीजन का कंपाउंड है, ये दोनों ही चीज धरती पर जरूरी मानी जाती हैं (Life on MARS). एलियन जीवन की संभावना जताने वाले मशरूम पहली खोज नहीं है, बल्कि इससे पहले भी कई सबूत मिले हैं.
7 अगस्त साल 1996 में तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन (US President Bill Clinton) ने व्हाइट हाउस के लॉन में खड़े होकर एक घोषणा की थी. उन्होंने कहा था वैज्ञानिकों ने 1984 में अंटार्कटिका से एक उल्कांपिंड बरामद किया था. जिसमें सूक्ष्म जीवों के प्राचीन जीवाश्म अवशेष मिले थे. क्लिंटन ने इन्हें माइक्रोऑर्गेनिज्म बताया था. यानी कि सूक्ष्म जीव.
एएलएच 84001 वही पत्थर है, जो मंगल से धरती पर आया था. ऐसा कहा जाता है कि उल्कांपिंड मंगल पर ज्वालामुखी के फटने के कारण या फिर किसी अन्य उल्कापिंड से टकराने के बाद हुए धमाके के कारण धरती पर आया होगा (Fossilised Worms). इससे पहले अंतरिक्ष में ही ये लाखों वर्ष तक रहा होगा. इसके बाद ये दक्षिणी ध्रुप पर स्थित अंटार्कटिका में आकर गिरा होगा.
मंगल पर जीवन है या नहीं, इसका पता लगाने के लिए नासा के विकिंग रोबोटिक लैंडर (Viking Robotic Lander) ने 1970 में कई प्रयोग किए. जिसमें मंगल की मिट्टी की जांच की गई. लैंडर ने खुद ही मंगल की मिट्टी पर रसायन डाले. एक सैंपल के तहत मंगल की मिट्टी पर रेडियोएक्टिव कार्बन-14 को डाला गया. ऐसा माना जाता है कि मिट्टी में अगर माइक्रोब्स हैं, तो वह इसे सोख लेगी और कार्बन-14 गायब हो जाएगा.
लेकिन वाइकिंग के चैंबर में गर्मी बढ़ती जा रही थी, जिससे वैज्ञानिकों को लगा कि माइक्रोब्स मर जाएंगे. लेकिन इसके उलट हुआ. कार्बन-14 की मात्रा मंगल की मिट्टी से रिएक्ट करने लगी और बढ़ती चली गई. चूंकी तापमान अधिक होने के लिए कारण कार्बन-14 बढ़ने लगा, इसलिए ये भी वहां जीवन का संकेत देता है. लेकिन आज भी इसपर बहस होती है. इस प्रयोग का कोई परिणाम भी सामने नहीं आया था.
यहां तक कि हाल ही में मंगल पर मिथेन गैस मिली थी (Mystery Gases). धरती पर रहने वाले सूक्ष्म जीव भी मिथेन गैस छोड़ते हैं. लेकिन इससे ये साबित नहीं हो जाता कि मंगल पर जीवन है. मिथेन गैस कई अकार्बनिक प्रक्रियाओं के कारण भी रिलीज होती है. जैसे पत्थरों को गर्म करने से. इसलिए मिथेन गैस के मिलने से एलियन जीवन की पूरी तरह पुष्टि नहीं की जा सकती है.
साल 1977 में अमेरिका के बिग ईयर रेडियो टेलीस्कोप ने एक रेडियो सिग्नल कैच किया था. ये उस समय हुआ जब टेलीस्कोप आसमान की स्कैनिंग कर रहा था (Alien Life and Death). सिंग्नल काफी हाई पावर वाला था और कुछ मिनट तक रहा. लेकिन सिग्नल आजतक पकड़ा नहीं गया है. इसकी फ्रीक्वेंसी रेज काफी पतली थी. उस समय टेलीस्कोप पर एस्ट्रोनॉमर जैरी एहमान काम कर रहे थे. उन्होंने सिग्नल का प्रिंटआउट लिया और उसपर लाल पेन से गोला बनाते हुए लिखा 'Wow'. इस सिग्नल को आज तक एक रहस्य ही माना जाता है.
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