विभिन्न मौसमी घटनाओं का अध्ययन करने के लिए माउंट एवरेस्ट पर विश्व के सबसे ऊंचे मौसम केंद्र की स्थापना की गई है। सौर ऊर्जा से चलने वाला ये मौसम केंद्र तापमान, हवा की गति और दिशा, हवा का दबाव और बर्फ की ऊंचाई में आने वाले बदलावों के साथ कम और अधिक दूरी के रेडिएशन को मापेगा।
नेपाल के जल एवं मौसम विज्ञान विभाग के अनुसार, इस मौसम केंद्र को पर्वत रेंज के समिट प्वाइंट से कुछ नीचे 8,830 मीटर पर स्थापित किया गया है। क्योंकि समिट प्वाइंट पर मौजूद बर्फ की वजह से वहां स्थापित करने में दिक्कत आ रही थी। नेपाल के जल विज्ञान एवं मौसम विभाग और नेशनल जियोग्राफिक ने पर्वतों की स्थितियों के रियल टाइम जानकारी के लिए नेटजियो द्वारा पांच स्वचालित मौसम केंद्रों को शुरू करने के लिए एक एमओयू किया है। इसके तहत नेशनल जियोग्राफिक की टीम इन केंद्रों का 2025 तक संचालन करेगी। जिसके बाद वर्ष 2026 में तकनीक को नेपाल सरकार को हस्तांतरित कर दिया जाएगा।
जल विज्ञान एवं मौसम विभाग के निदेशक कमलराम जोशी ने बताया, जैसा अभी तक होता आया है, विभाग ने नेट-जियो की टीम से अनुरोध किया है कि इन केंद्रों का डाटा नेपाल के अधिकारियों को सीधे ट्रांसफर किया जाए, न कि नेट-जियो के सर्वर के जरिये भेजा जाए।
नेपाली अखबार हिमालयन टाइम्स के अनुसार, अमेरिका की अप्लेशियन यूनिवर्सिटी के जलवायु विज्ञानी बेकर पेरी की अगुवाई में टीम ने माउंट एवरेट पर्वतीय क्षेत्र में करीब एक माह का समय बिताया और सबसे ऊंचे मौसम केंद्र को स्थापित करके नेट-जियो की टीम वापस आ गई है। इसी दौरान टीम ने कई अन्य केंद्रों की भी मरम्मत की।
रिपोर्ट के अनुसार एक चीनी अभियान दल ने भी एवरेस्ट पर्वत शृंखला के उत्तर में 8,800 मीटर की ऊंचाई पर स्वचालित मौसम अध्ययन केंद्र स्थापित किया था। चीन की एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार चीन ने 5200 से 8800 मीटर की ऊंचाई के बीच आठ मौसम अध्ययन केंद्र स्थापित किए हैं।