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इंडोनेशिया में रोज मिल रहे कोरोना के 57 हजार से ज्यादा मरीज

Subhi
19 July 2021 2:48 AM GMT
इंडोनेशिया में रोज मिल रहे कोरोना के 57 हजार से ज्यादा मरीज
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दुनियाभर में कोरोना वायरस ने काफी कहर ढ़ाया है। लेकिन अभी इसके खत्म होने के कोई आसार नहीं दिख रहे हैं।

दुनियाभर में कोरोना वायरस ने काफी कहर ढ़ाया है। लेकिन अभी इसके खत्म होने के कोई आसार नहीं दिख रहे हैं। भारत व ब्राजील को पीछे छोड़ इंडोनेशिया कोरोना महामारी का नया केंद्र बन गया है।

कोरोना के चलते इंडोनेशिया के हालात काफी खराब हो गए हैं। कोरोना वायरस के डेल्टा वैरिएंट ने पूरे दक्षिणपूर्व एशिया को अपनी चपेट में ले लिया है। वियतनाम, मलयेशिया, म्यांमार व थाईलैंड में भी स्थिति बिगड़ने लगी है सरकारें लॉकडाउन लगाने पर विवश हो गई हैं।

इंडोनेशिया में रोजाना औसतन 57 हजार से अधिक मरीज मिल रहे हैं। शुक्रवार को 1205 मरीजों की मौत के साथ मौतों का आंकड़ा 71 हजार पार हो गया है। ऑस्ट्रेलिया के ग्रिफिथा यूनिवर्सिटी में इंडोनेशियाई मूल के महामारी रोग विशेषज्ञ प्रो. डिकी बुदिमान का कहना है कि इंडोनेशिया दुनिया की सबसे अधिक आबादी वाला चौथा देश है।

यहां जांच की दर कम है, ऐसे में मरीजों का वास्तिवक आंकड़ा मौजूदा आंकड़े से तीन से छह गुना अधिक हो सकता है। संक्रमण से मौतों पर नजर रखने वाली संस्था लैपोर कोविड का कहना है कि इंडोनेशिया में अस्पतालों में मौतें तो हो ही रही है। घर पर भी रोजाना 40 से अधिक की जान जा रही है।

10 फीसदी स्वास्थ्यकर्मी आइसोलेट

हॉस्पिटल एसोसिएशन के महासचिव डॉ. लिया जी पर्ताकुसुमा ने बताया कि इंडोनेशिया में वायरस की चपेट में आने से देश के 10% स्वास्थ्यकर्मी आइसोलेट हो गए हैं। वहीं अस्पतालों में ऑक्सीजन की खपत क्षमता से पांच गुना अधिक हो गई है।

घर से ऑक्सीजन लानी पड़ रही

यहां डेल्टा वैरिएंट ने तबाही मचा रखी है। लोगों को अस्पताल या टेंट में बने अस्थाई अस्पताल में भर्ती होने के लिए घंटों इंतजार करना पड़ रहा है। अस्पताल में ऑक्सीजन नहीं है, इसलिए ऑक्सीजन की व्यवस्था खुद करनी पड़ रही है। बिना ऑक्सीजन अस्पताल आने वाले मरीजों को भर्ती तक नहीं किया जा रहा है।

टीका लगा फिर भी 20 डॉक्टरों की मौत

इंडोनेशिया में केवल 2.7 करोड़ लोगों को टीका लगा है। इसमें से भी केवल छह फीसदी को दोनों डोज लगी है। इंडोनेशिया में चीन की कंपनी साइनोवैक का टीका लग रहा है, जिसे अन्य टीकों की तुलना में कम असरदार माना जा रहा है। सबसे बड़ी मुश्किल यह है कि साइनोवैक टीके की दोनों डोज लगवा चुके 20 डॉक्टरों की मौत हो चुकी है। ऐसे में डॉक्टर व स्टाफ मरीजों का रहे हैं। इलाज करने से घबरा रहे हैं।


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