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मस्तिष्क में हुए मालीक्यूलर बदलाव
न्यूयार्क, एजेंसी। मौजूदा महामारी के कारक बने कोविड के अब तक कई दीर्घकालिक दुष्प्रभावों का पता चल चुका है। इसी क्रम एक नए अध्ययन में पाया गया है कि कोविड-19 से मृत कुछ व्यक्तियों के मस्तिष्क में कुछ ऐसे मालीक्यूलर बदलाव हुए, जो अल्जाइमर रोगियों के मस्तिष्क में पाए जाते हैं। यह अध्ययन 'अल्जाइमर्स एंड डिमेंशिया : द जर्नल आफ द अल्जाइमर्स एसोसिएशन' में प्रकाशित हुआ है।इस निष्कर्ष के आधार दीर्घावधिक कोविड के कारण याददाश्त पर पड़ने वाले प्रभाव को समझा जा सकता है। हालांकि शोधकर्ताओं ने फिलहाल इस बात को लेकर सचेत किया है कि यह अध्ययन महज 10 लोगों के डाटा के आधार पर किया गया है।
इसलिए इसकी पुष्टि के लिए और भी शोध किए जाने की जरूरत है।कोविड रोगियों में 'ब्रेन फाग' (सोचने की प्रक्रिया धीमी होने का अनुभव) और कार्डियक लक्षणों होने की रिपोर्टे आने के बाद कोलंबिया के शोधकर्ताओं ने इस बात का पता लगाने की कोशिश की कि इस नए रोग में खास मालीक्यूल रायनोडाइन रिसेप्टर किस प्रकार से प्रभावित होता है।विकृत रायनोडाइन रिसेप्टर हृदय और फेफड़ा के रोगों से लेकर दबाव की स्थिति में मस्तिष्क की प्रतिक्रिया और अल्जाइमर तक में शामिल होता है।वैगेलोस कालेज आफ फिजिशियन एंड सर्जन्स में डिपार्टमेंट आफ द फिजियोलाजी एंड सेल्युलर बायोफिजिक्स के प्रमुख तथा इस अध्ययन के नेतृत्वकर्ता एंड्रयू मार्क्स ने बताया कि जैसे ही कोविड महामारी की मार बढ़ी, सभी लोगों की दिलचस्पी इसमें बढ़ गई और यह तलाशने की कोशिश होने लगी कि इसमें क्या मदद कर सकते हैं।
ऐसे में हमने जो पाया, वह वाकई बिल्कुल ही अनपेक्षित था। सिर्फ यह नहीं कि कोविड रोगियों के हृदय और फेफड़े में विकृत रायनोडाइन रिसेप्टर पाया, बल्कि यह उनके मस्तिष्क में भी मिला। तंत्रिकाओं में रायनोडाइन रिसेप्टर का संबंध पहले ही फास्फोरिलेटेड टाउ से पाया जा चुका है, जो अल्जाइमर का सर्वविदित हालमार्क है।इस नए अध्ययन में कोलंबिया के शोधकर्ताओं ने कोविड रोगियों में फास्फोरिलेटेड टाउ का उच्च स्तर के साथ ही विकृत रायनोडाइन रिसेप्टर भी पाया। फास्फोरिलेटेड टाउ उस क्षेत्र में पाया गया, जहां अल्जाइमर रोगियों में टाउ मिलता है और उसके अन्यत्र भी। इससे यह संकेत मिलता है कि कोविड रोगियों में फास्फोरिलेटेड टाउ का होना अल्जाइमर के शुरुआती लक्षण हो सकते हैं। साथ ही कोविड-19 से संक्रमित रोगियों में तंत्रिका संबंधी होने वाली परेशानियों के बारे में भी इससे पता लगाया जा सकता है।
इस निष्कर्ष और मस्तिष्क में पाए गए बदलाव के आधार पर शोधकर्ताओं का मानना है कि कोविड संक्रमण के गंभीर मामलों में इम्यून रेस्पांस से मस्तिष्क में इंफ्लैमेशन होता है, जिससे रायनोडाइन रिसेप्टर शिथिल पड़ जाता है और फास्फोरिलेटेड टाउ बढ़ जाता है। इसके साथ ही अल्जाइमर की एक और निशानी या हालमार्क ऐमलाइड-बीटा (एक प्रकार की मांड़ी) के निर्माण में भी कोई बदलाव नहीं हुआ।मार्क्स ने कहा कि इन निष्कर्षो को इस रूप में भी समझा जा सकता है कि दीर्घकालिक कोविड आगे चलकर अल्जाइमर का भी कारक हो सकता है।
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