यूक्रेन पर रूसी हमले (Russia-Ukraine War) ने सैकड़ों लोगों की जिंदगी को प्रभावित किया है, इसमें पाकिस्तानी मूल के अरबपति मोहम्मद जहूर (Mohammad Zahoor) भी शामिल हैं. जहूर सालों से यूक्रेन में रह रहे हैं और यही उनका दूसरा घर है. हालांकि, रूसी हमले के चलते उन्हें अपना मुल्क छोड़कर जाना पड़ा है. जहूर को 'कीव का शहजादा' भी कहा जाता है. साथ ही दुनिया उन्हें स्टील किंग और यूक्रेन की एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री की एक बड़ी हस्ती के रूप में भी जानती है. आम पाकिस्तान लड़के से लेकर यूक्रेन के मशहूर बिजनेसमैन (From Pakistani Boy to Ukrainian Business Tycoon) बनने का जहूर का सफर बेहद रोमांचक और मुश्किलों से भरा रहा है.
राष्ट्रपति-प्रधानमंत्री से संबंध
मोहम्मद जहूर की पत्नी ने साल 2008 में मिसिज वर्ल्ड का खिताब जीता था और यूक्रेन की एक मशहूर गायिका हैं. यूक्रेन में जहूर का काफी रुतबा है, यहां के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के साथ भी उनके घनिष्ठ संबंधों हैं. वो पिछले 11 सालों से यूक्रेन में म्यूजिक अवॉर्ड का आयोजन कर रहे हैं, जो उनके अनुसार ग्रैमी से कम नहीं हैं. मूल रूप से कराची के रहने वाले जहूर को आज स्टील की दुनिया का माहिर माना जाता है. वह साल 2008 तक सीधे तौर पर स्टील कारोबार से जुड़े हुए थे. यूक्रेन और ब्रिटेन सहित दुनिया में उनकी कई स्टील मिलें थीं. लेकिन फिर उन्होंने अपनी स्टील मिलें बेच दी.
इस समय वह दुनियाभर में स्टील के कारोबार पर सलाह देने के अलावा, निवेश के कारोबार से जुड़े हुए हैं. उन्होंने कई वर्षों तक यूक्रेन में 'कीव पोस्ट' नामक एक अखबार भी चलाया था. उनका दावा है कि अखबार अपनी निष्पक्ष नीतियों और सरकार की आलोचना के कारण लोकप्रिय हुआ था, लेकिन बाद में उन्होंने इसे भी बेच दिया. जहूर की पहली पत्नी अब मास्को में रहती है. उनका मास्को के साथ भी उनका गहरा संबंध रहा है, क्योंकि वह 13 साल तक मास्को में भी रहे थे. उन्होंने बताया कि उनकी दूसरी पत्नी कमालिया ऐसे कई शॉ में गा चुकी हैं, जहां रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भी मेहमानों में शामिल थे. दरअसल, कमालिया के पिता मास्को से हैं और उनकी मां यूक्रेन से हैं, लेकिन कमालिया खुद को यूक्रेनी ही मानती हैं.
कराची में हुआ था जन्म
मोहम्मद जहूर का जन्म पाकिस्तान के सबसे बड़े शहर कराची में हुआ था. उनके पिता खुशहाल खान ख़ैबर पख़्तूनख़्वा प्रांत के मानसेहरा जिले के हसनैना गांव में रहते थे. खुशहाल पाकिस्तान बनने से पहले ही कराची चले गए थे. जहूर को यह बात अच्छी नहीं लगती थी कि पिता की अच्छी-खासी सरकारी नौकरी के बावजूद उनका जीवन दूसरों की तरह सम्मानजनक और शानदार नहीं था. वह कुछ बड़ा करना चाहते थे, ताकि सभी को एक शानदार लाइफ दे सकें. इसी वजह से उन्होंने देश से बाहर जाने की राह तलाशनी शुरू की और इसकी शुरुआत हुई 1974 में, जब उनका सेलेक्शन सोवियत संघ में इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के लिए हुआ. उस समय, वह कराची में एनईडी यूनिवेर्सिटी में इंजीनियरिंग के प्रथम वर्ष के छात्र थे.
स्कॉलरशिप पर पहुंचे थे डोनेट्स्क
स्कॉलरशिप के लिए चुने गए 42 बच्चों में से कुछ को सेंट पीटर्सबर्ग, कुछ को मास्को और कुछ को डोनेट्स्क भेजा गया, जिनमें जहूर भी शामिल थे. डोनेट्स्क में उनका छात्र जीवन काफी अच्छी गुजरा. अपने साथ जाने वालों में सबसे जल्दी रूसी भाषा उन्होंने ही सीखी, जिससे उन्हें आगे बढ़ने में बहुत मदद मिली. स्टूडेंट लाइफ में ही उन्होंने अपने साथ पढ़ने वाली एक लड़की से शादी कर ली थी, जो बाद में उनके साथ पाकिस्तान में भी रही. इस स्कॉलरशिप की शर्त थी कि शिक्षा पूरी करने के बाद, उन्हें वापस जाकर पांच साल तक पाकिस्तान स्टील मिल में काम करना होगा. इसलिए वो वापस पाकिस्तान लौट गए.
पाकिस्तान में उन्हें पहले स्टील मिल के सुरक्षा विभाग में तैनात किया गया और बाद में निर्माण विभाग में ट्रांसफर कर दिया गया. हालांकि, दोनों ही विभागों का काम उनकी डिग्री से जुड़ा हुआ नहीं था. लेकिन मेटलर्जी में इंजीनियरिंग करने वाले जहूर ने हार नहीं मानी. उन्होंने इतना शानदार काम किया कि जब उन्होंने वो नौकरी छोड़ने का मन बनाया, तो स्टील मिल के चेयरमेन ने उनका इस्तीफा सात बार रिजेक्ट किया था. इस बीच, उन्हें पता चला कि मास्को स्थित एक कंपनी को किसी ऐसे व्यक्ति की तलाश है, जो उन्हें पाकिस्तान के साथ व्यापार करने में मदद कर सके. रूसी भाषा में माहिर होने और काबिलियत की वजह से जहूर को इस नौकरी के लिए चुन लिया गया. इस तरह वे एक नए सफर पर मास्को पहुंच गए.
नौकरी छोड़ शुरू किया बिजनेस
मोहम्मद जहूर ने 80 के दशक के अंत में मास्को पहुंच कर स्पेयर पार्ट्स की आपूर्ति शुरू कर दी थी. साथ ही, उन्होंने अपनी कंपनी से कहा कि यहां से स्टील ले कर जाना एक फायदेमंद सौदा हो सकता है. उनके इस आईडिया से कंपनी को काफी फायदा हुआ और उनकी सैलरी भी तीन साल के अंदर एक हजार से बढ़कर और बोनस मिलाकर 50 हज़ार डॉलर हो गई थी. फिर कई कारणों की वजह से उन्होंने सोचा कि क्यों न वो अपना का कारोबार शुरू करें. उन्होंने थाईलैंड के एक कारोबारी के साथ एक कंपनी शुरू की, जिसमें 49 प्रतिशत शेयर उनका था. इस तरह स्टील की दुनिया पर राज करने की उनकी यात्रा शुरू हुई. धीरे-धीरे यूरोप और फिर दुनिया भर में उनके ऑफिस खुलने लगे. 1996 में, उन्होंने डोनेट्स्क की उसी स्टील मिल को खरीद लिया, जहां उन्होंने स्टूडेंट लाइफ में अपना आख़िरी प्रेक्टिकल पूरा करके डिग्री हासिल की थी.
चीन के चलते बेच दीं स्टील मिलें
चीन ने साल 2008 के ओलंपिक की मेजबानी की थी. इसकी तैयारी के लिए चीन दुनिया भर से स्टील खरीद रहा था. जहूर ने भी चीन को जमकर स्टील बेचा, लेकिन जब चीन के अंदर तेजी से स्टील मिलें लगनी शुरू हो गईं, तो उन्होंने भविष्य की चिंता सताने लगी. उन्हें अहसास हो गया कि चीन की स्टील मिलों के चलने के बाद यह कारोबार फायदेमंद नहीं रहेगा. उन्होंने साल 2008 में अपने स्टील के कारोबार को पूरी तरह से बेच दिया. अब तक वो अपनी कंपनी के अकेले मालिक बन चुके थे, क्योंकि साल 2004 में उन्होंने अपने पार्टनर से सारे शेयर खरीद लिए थे.
फिलहाल लंदन में लिया है आसरा
मोहम्मद जहूर के फैसले पर सभी हैरान थे, लेकिन समय ने साबित किया कि वह पूरी तरह सही थे. अब वह दुनिया भर में निवेश करते हैं. उनका निवेश लगभग 10 करोड़ डॉलर है. यूक्रेन पर रूसी हमले से उन्हें काफी नुकसान जरूर हुआ है, लेकिन एक समझदार व्यापारी की तरह उन्होंने सारी संपत्ति किसी एक स्थान या क्षेत्र में नहीं रखी, इसलिए वह ज्यादा चिंतित नहीं होते. फिलहाल जहूर लंदन में रह रहे हैं. जहूर और उनके परिवार को उम्मीद नहीं थी कि रूस हमला कर सकता है. उनकी पत्नी कमालिया अपना देश नहीं छोड़ना चाहती थी. इसलिए उन्होंने पहले अपने पति और बच्चियों को लंदन भेज दिया और सबसे आखिरी में वहां से निकलीं.