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इसके अलावा इस युद्ध के चलते ग्लोबल फूड सप्लाई पर पड़ने वाले असर पर भी बातचीत होगी।
दुनिया की नजर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन के बीच होने वाली वर्चुअल बैठक पर टिकी है। दोनों नेताओं के बीच यह बैठक ऐसे समय हो रही है, जब यूनाइटेड नेशंस ह्यूमन राइट्स काउंसिल से रूस की सदस्यता खत्म कर दी गई है। इस पर हुई वोटिंग में 93 देशों ने रूस के खिलाफ वोट डाला था, 24 देश रूस के साथ थे। खास बात यह है कि भारत ने इस वोटिंग में हिस्सा नहीं लिया। ऐसे में बाइडन और मोदी की वर्चुअल बैठक खास है। ऐसे में सवाल यह है कि इस वर्चुअल बैठक के क्या निहितार्थ हैं। क्या रूस यूक्रेन जंग में भारत के रुख में कोई बदलाव आएगा?
भारत की तटस्थता नीति पर अमेरिका की आपत्ति
रूस यूक्रेन युद्ध के बीच भारत की तटस्थता नीति को लेकर अमेरिका पहले भी ऐतराज कर चुका है। बाइडन प्रशासन चाहता है कि रूस के साथ भारत अपने रिश्तों को सीमित रखे। भारत ने अभी भी रूस से तेल का व्यापार जारी रखा है और अमेरिका को यह बात अखर रही है। अमेरिका चेतावनी दे चुका है कि अगर भारत लगातार इस रिश्ते को जारी रखता है तो उसे इसकी कीमत चुकानी पड़ सकती है। इसके साथ अमेरिका भारत के समक्ष यह प्रस्ताव रख चुका है कि वह उसको रक्षा उपकरण और हथियार देगा। अमेरिका ने यह भी शर्त रखी है कि रूस से मिलने वाले हथियारों पर निर्भरता कम करनी होगी।
1- प्रो. हर्ष वी पंत ने कहा कि रूस यूक्रेन जंग के दौरान अमेरिका और पश्चिमी देशों की नजरें भारत पर टिकी है। अमेरिकी नीतिकार यह जानते हैं कि रूस यूक्रेन जंग के दौरान भारत एक अहम रोल अदा कर सकता है। इसलिए वह लगातार भारत पर दबाव बना रहे हैं। बाइडन प्रशासन भारत के रुख पर नजर बनाए हुए है। उन्होंने कहा कि रूस और भारत की सामरिक और आर्थिक साझेदारी काफी अहम है। दोनों देशों के बीच मधुर रिश्ते हैं। इसलिए बाइडन प्रशासन यह चाहता है कि वह अपनी तटस्थता की नीति छोड़कर जंग समाप्त करने की सक्रिय भूमिका अदा करे। बाइडन और मोदी की वर्चुअल बैठक इसी कड़ी के रूप में देखा जाना चाहिए।
2- हालांकि, यह कहा जा रहा है कि दोनों नेताओं के बीच हो रही वर्चुअल बैठक में कोरोना महामारी, जलवायु संकट, ग्लोबल इकोनामी के साथ सुरक्षा और लोकतंत्र की मजबूती पर चर्चा होगी। इस बारे में प्रो पंत ने कहा कि इस बैठक में इन सारे मुद्दों पर रूस यूक्रेन जंग का मामला ही हावी रहेगा। राष्ट्रपति बाइडन लोकतांत्रिक मूल्यों और उनकी सुरक्षा के नाम पर भारत को अपने पक्ष में करने की कूटनीतिक पहल करेंगे। इस बैठक के बाद दोनों देशों के बीच मिनिस्ट्रियल डायलाग में भी यही मुद्दा छाए रहने की उम्मीद है। इस दौरान पीएम मोदी के सामने रूस के इस भयावह युद्ध के नतीजों पर चर्चा होगी। इसके अलावा इस युद्ध के चलते ग्लोबल फूड सप्लाई पर पड़ने वाले असर पर भी बातचीत होगी।
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