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ही वह जगह थी जहां पर विद्रोहियों और नागरिकों ने कब्जा कर लिया था।
मॉस्को: यूक्रेन का नामों-निशां दुनिया के नक्शे से मिटा देना, क्या इसी मकसद से रूस ने जंग जारी रखी है? कई विशेषज्ञ इस सवाल का जवाब तलाशने की कोशिशों में लगे हुए हैं। कुछ लोगों की मानें तो रूस ने यूक्रेन में परमाणु युद्ध की शुरुआत कर दी है। मगर अभी उसने सामान्य परमाणु हथियारों का प्रयोग नहीं किया है। बल्कि वह उस रणनीति के तहत राजधानी कीव पर मिसाइलें गिरा रहा है, जिसके तहत यूक्रेन के मिट्टी में मिलाया जा सके। कुछ लोगों की मानें तो रूस इस कदर मिसाइल हमला कर रहा है कि अब लगने लगा है वह यूक्रेन को पाषाण काल में पहुंचा देगा। कुछ लोगों को 11 साल पहले सीरिया में छिड़े गृह युद्ध की याद आ गई है। कभी आबाद रहने वाला सीरिया आज बंजर हो चुका है।
कीव पर हमला
रूस के लिए यूक्रेन के अहम इंफ्रास्ट्रक्चर पर हमले करने का मतलब है, उसकी रीढ़ की हड्डी तोड़ देना। कीव में हर संस्थान को मिसाइलों, ड्रोन और रॉकेट हमले में तबाह कर देना, शायद रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन कुछ ऐसा ही सोच रहे हैं। कुछ विशेषज्ञों की मानें तो क्रीमिया को रूस से जोड़ने वाले क्रेरेच के पुल पर जो हमला हुआ है, अब उसका बदला लिया जा रहा है। यह पुल 3.5 अरब डॉलर की लागत से बना था। यूक्रेन ने माना है कि उसने इस पुल पर हमला किया था। उसने यह भी कहा है कि केरेच पुल पर जो हमला हुआ है उसे एक ट्रक बम से उड़ाया गया है।
क्या कहा रूस ने
रूस का कहना है कि ऐसा करके यूक्रेन ने सीमा रेखा पार कर दी है। 10 अक्टूबर से रूस की तरफ से हमलों में तेजी आई है और इसमें सिर्फ किसी एक टारगेट पर हमला किया जा रहा है, ऐसा नहीं है। बल्कि यूक्रेन में मौजूद हर ढांचे को रूस निशाना बना रहा है। जो बात गौर करने वाली है, वह है कि रूस ने यूक्रेन के थर्मल पावर प्लांट और कमांड सेंटर्स तक को निशाना बनाया है। इसके बाद यूक्रेन को बिजली आपूर्ति बंद करनी पड़ी और साथ ही साथ बिजली का आयात भी रोकना पड़ गया।
ये है असली वजह
हाल ही में रूस ने स्पेशल ऑपरेशन कमांडर के तौर पर जनरल सर्गेई सुरोविकिन को जिम्मेदारी सौंपी है। यह वही जनरल हैं जिन पर सीरिया में जमीन और हवा से हमलों का जिम्मा था। उनके नेतृत्व में ही अलेप्पो पर एक महीने तक बम गिराये गए थे। यही वह जगह थी जहां पर विद्रोहियों और नागरिकों ने कब्जा कर लिया था।
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