विश्व
मिसाइल ट्रेनिंग एरिया का हुआ विस्तार, महफूज रखने के लिए जमीन के नीचे है सुरंग
Apurva Srivastav
1 March 2021 3:08 PM GMT

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अपनी अक्रामक नीति के तहत चीन (china) अपने मिसाइल ट्रेनिंग एरिया (Missile Training Area) का विस्तार कर रहा है.
अपनी अक्रामक नीति के तहत चीन (china) अपने मिसाइल ट्रेनिंग एरिया (Missile Training Area) का विस्तार कर रहा है. ये खुलासा हुआ है सैटेलाइट तस्वीरों (Satellite Areas) से. तस्वीरों में देखा जा सकता है कि चीन स्टोरेज कंटेनर्स (Storage Containers), सुरंगों और सपोर्ट फैसिलिटी का विस्तार कर रहा है. माना जा रहा है कि चीन आने वाले दिनों में अधिक मारक क्षमता वाली मिसाइलों (Missiles) को अपने प्रमुख हथियारों के जखीरे में शामिल करेगा.
चीन की ये नीति अमेरिका के लिए भी खतरे की घंटी है क्योंकि ड्रैगन की कई मिसाइलें अमेरिका के हथियारों पर भी भारी पड़ सकती हैं. फेडरेशन ऑफ अमेरिकी साइंटिस्ट में न्यूक्लियर इंफॉर्मेशन प्रोजक्ट के डॉयरेक्टर हेंस एम क्रिस्टेंस चीन के रक्षा मामलों के जानकार हैं. उन्होंने अपने ब्लॉग में लिखा कि चीन कम से कम 16 स्टोरेज कंटेनर्स के निर्माण में लगा है.
पीएलए रॉकेट फोर्स का ट्रेनिंग एरिया
उन्होंने लिखा कि चीन मिसाइल लोडिंग ऑपरेशन को छिपाने के लिए सुरंगों का निर्माण कर रहा है. तस्वीर में नजर आ रहा ट्रेनिंग एरिया इनर मंगोलिया प्रांत के जिलंताई शहर के पूर्व में मौजूद है. इस इलाके में पीएलए रॉकेट फोर्स के मिसाइल क्रू को ट्रेनिंग दी जाती है. ये इलाका 2090 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है, जिसमें रेगिस्तानी और पहाड़ी क्षेत्र भी शामिल है. इस ट्रेनिंग एरिया की लंबाई लगभग 140 किलोमीटर है.
चीन ने इस इलाके में 2013 के बाद से 140 लॉन्चिंग पैड्स का निर्माण किया है, जिनका इस्तेमाल ट्रेनिंग के दौरान किया जाता है. यहां कई कैंप ग्राउंड्स भी बनाए गए हैं. इसके अलावा इस इलाके में गैरेज सर्विसिंग लॉन्चर और सपोर्टिंग गाड़ियां घूमती रहती हैं. फिलहाल इस इलाके में स्टोरेज कंटेनरों का निर्माण जारी है. साथ ही मिसाइलों को छिपाने और महफूज रखने के लिए जमीन के नीचे सुरंगें भी बनाई जा रही हैं.
पुरानी तस्वीरों से मिली अधूरी जानकारी
क्रिस्टेंस ने कहा कि गूगल अर्थ सिर्फ कुछ ही इलाकों की और कुछ ही तस्वीरें खींचता है जिसकी वजह से इस इलाके की मैपिंग ठीक ढंग से नहीं हो पाती. यहां के उत्तर पूर्वी इलाके की तस्वीर 2019 और बाकी 2013 और 2014 की हैं. इस दौरान क्षेत्र में जो निर्माण किए गए हैं उसका अंदाजा लगा पाना मुश्किल है.
ब्लॉग में हुए खुलासे के मुताबिक यहां बनाए जा रहे कंटेनरों की लंबाई डीएफ-5आईसीबीएम की तुलना में छोटी है. माना जा रहा है कि यहां से डीएफ-41 जैसी मिसाइलों का संचालन नहीं किया जा सकता

Apurva Srivastav
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