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म्यांमार में सैनिक शासक जनरल हलायंग को न्योता नहीं, अभी तक दूर नहीं हुआ आसियान का धर्म संकट

Deepa Sahu
19 Oct 2021 2:11 PM GMT
म्यांमार में सैनिक शासक जनरल हलायंग को न्योता नहीं, अभी तक दूर नहीं हुआ आसियान का धर्म संकट
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म्यांमार के सैनिक शासक जनरल मिन आंग हलायंग को आसियान शिखर सम्मेलन में न बुलाने के फैसले से दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के इस समूह में बेचैनी है।

म्यांमार के सैनिक शासक जनरल मिन आंग हलायंग को आसियान शिखर सम्मेलन में न बुलाने के फैसले से दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के इस समूह में बेचैनी है। आसियान ग्रुप की खासियत यह रही है कि इसमें फैसले आम राय से लिए जाते रहे हैं। इसीलिए म्यांमार में सैनिक तख्ता पलट के आठ महीने बाद तक ये समूह इस मामले में कोई साफ रुख तय नहीं कर पाया। लेकिन पिछले हफ्ते ये फैसला हुआ कि इसी महीने होने वाले शिखर सम्मेलन में जनरल हलायंग को नहीं बुलाया जाएगा। बीते हफ्ते एसोसिएशन ऑफ साउथ-ईस्ट एशियन नेशंस (आसियान) ने जनरल हलायंग के बजाय म्यांमार से किसी 'गैर-राजनीतिक' प्रतिनिधि को शिखर सम्मेलन में बुलाने का फैसला किया। ये घोषणा आसियान के मौजूदा अध्यक्ष ब्रुनेई की थी। अब आसियान के सूत्रों ने कहा है कि संभवतया म्यांमार से वहां के विदेश मंत्रालय के किसी अधिकारी को सम्मेलन में आमंत्रित किया जाएगा।

वेबसाइट निक्कईएशिया.कॉम की एक खबर के मुताबिक म्यांमार के बारे में ये फैसला सर्व-सम्मति से नहीं हुआ। बल्कि आसियान के कुछ सदस्य देशों को इस पर एतराज था। म्यांमार की तरफ से भी इस पर कड़ा विरोध जताया गया। विश्लेषकों का कहना है कि इससे आसियान समूह में तनाव पैदा हो गया है। इससे उसकी इस छवि के लिए चुनौती पैदा हुई है कि इस समूह में सभी फैसले सर्व-सम्मति से होते हैं। आसियान की नीति किसी सदस्य देश के घरेलू मामलों में दखल ना देने की रही है।
इंडोनेशिया के विदेश मंत्री रेत्नो मरसुदी ने वेबसाइट निक्कई एशिया से कहा कि म्यांमार के बारे में आसियान में एक पांच सूत्री सहमति बनी थी। लेकिन उसको लेकर कोई खास प्रगति नहीं हो पाई। इसीलिए इस बार जनरल हलायंग को न बुलाने का फैसला लिया गया। बीते अप्रैल में आसियान ने आम सहमति से तय किया था कि वह अपना एक विशेष दूत म्यांमार भेजेगा, जो वहां सभी संबंधित पक्षों से बातचीत करेगा। दूत के मध्य अक्टूबर में म्यांमार जाने का कार्यक्रम बना। लेकिन म्यांमार के सैनिक शासकों ने उसे विपक्षी नेता आंग सान सू ची से मिलने की इजाजत देने से इनकार कर दिया। सू ची अभी अपने घर में नजरबंद हैं। लेकिन म्यांमार ने कहा है कि आसियान से फैसले से वहां स्थिति में कोई सुधार नहीं होगा। सैनिक शासन ने एक बयान में कहा- 'म्यांमार आसियान के इस फैसले से निराश है और इस पर मजबूती से अपना एतराज जताता है। आसियान के विदेश मंत्रियों की आपात बैठक में चर्चा और ये फैसला बिना आम सहमति के हुआ।'
सिंगापुर के विदेश मंत्रालय के पूर्व स्थायी सचिव बिलहारी कौसिकन ने वेबसाइट निक्कई एशिया से कहा- 'आसियान को ये फैसला अपनी साख बचाने के लिए लेना पड़ा। जो पांच सूत्री आम सहमति बनी थी, उसे लागू करवा पाने में ये समूह नाकाम रहा। उसके बाद उसे ये निर्णय लेना पड़ा।'
निक्कई एशिया की रिपोर्ट में कहा गया है कि आसियान ने इस मामले में उभरे मतभेदों को चर्चा से दूर रखने की कोशिश की है, क्योंकि एकता ही इस समूह की ताकत रही है। इंडोनेशिया के विदेश मंत्रालय के अधिकारी अब्दुल कादिर जिलानी ने यह माना कि ये फैसला 'अभूतपूर्व' है। उन्होंने कहा कि म्यांमार की नुमाइंदगी का दावा सैनिक शासक और विपक्ष दोनों कर रहे थे। इसे और अ-हस्तक्षेप के सिद्धांत को ध्यान में रखते हुए गैर-राजनीतिक प्रतिनिधि को बुलाने का फैसला हुआ।
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