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मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करने के उपायों के रूप में इन कारकों पर भी ध्यान दें.’
कोरोना वायरस महामारी के आते ही दुनियाभर के लोगों की जीवनशैली बदल गई. एक ताजा अध्ययन में पता चला है कि इसका सबसे अधिक प्रभाव महिलाओं पर पड़ा है. हेल्थ पत्रिका लैंसेट में छपे अध्ययन में बताया गया है कि कोरोना वायरस महामारी के शुरुआती साल में डिप्रेशन और एन्जाइटी (चिंता) से (Depression Anxiety Cases in Covid) जुड़े मामलों में एक चौथाई से अधिक की वृद्धि हुई है. ये वृद्धि दुनियाभर के चिकित्सा विशेषज्ञों के लिए एक खतरे की घंटी जैसी है. लेकिन एक हैरानी की बात ये है कि इनमें ज्यादातर मामले महिलाओं से जुड़े हैं
रिपोर्ट के अनुसार, साल 2020 में दुनियाभर में एन्जाइटी डिसॉर्डर के 37.4 करोड़ मामले सामने आए हैं. इनमें से लगभग 7.6 करोड़ मामलों के पीछे का कारण कोरोना वायरस महामारी है (Mental Health of Women in Covid Time). 7.6 करोड़ के इस आंकड़े में लगभग 5.2 करोड़ मामले महिलाओं के हैं, जबकि पुरुषों की संख्या केवल 2.4 करोड़ है. हेडवे 2023 मानसिक स्वास्थ्य सूचकांक में सामने आए एक अन्य अध्ययन से पता चला है कि 83 प्रतिशत महिलाओं ने बताया है कि वह महामारी के दौरान मानसिक स्वास्थ्य से जूझ रही हैं.
महिलाओं को क्या कुछ सहना पड़ा?
इस दौरान महिलाओं ने घरेलू हिंसा और गर्भपात का सामना किया है. गर्भवती महिलाएं और पीरियड्स के समय दूसरी महिलाओं ने पैनिक अटैक्स की शिकायत की है. महिलाओं के मानसिक स्वस्थ्य से जुड़े मामलों में बढ़ोतरी के पीछे का एक अन्य कारण उनपर घर के काम और बच्चों की देखभाल का अतिरिक्त बोझ पड़ना भी है. महामारी के दौरान लॉकडाउन लागू हो गया और लोग घरों में बंद रहने को मजबूर हुए (Women Mental Health). ऐसे में महिलाओं के लिए ऑफिस के काम और घर के काम के बीच तालमेल बिठाना एक मुश्किल चुनौती बन गई. आंकड़े बताते हैं कि बहुत कम पुरुष ही घर के कामों में महिलाओं की मदद करते हैं.
पर्सनल-प्रोफेश्नल लाइफ में बैलेंस
जिन महिलाओं के 12 साल से कम उम्र के बच्चे हैं, उनमें 44 फीसदी को प्रोफेश्नल और पर्सनल जीवन के बीच सामंजस्य बैठाने में दिक्कतें आई हैं. जिसका असर उनके मानसिक स्वस्थ्य पर पड़ा. क्वींसलैंड यूनिवर्सिटी के अलीजे फेरारी कहते हैं, 'कोविड-19 महामारी ने कई मौजूदा असमानताओं और मानसिक स्वास्थ्य बीमारियों (Mental Health Problems) से जुड़े सामाजिक निर्धारकों को और गहरा कर दिया है. यह जरूरी है कि नीति निर्माता मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करने के उपायों के रूप में इन कारकों पर भी ध्यान दें.'
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