मॉरीशस का एक प्रतिनिधिमंडल रणनीतिक रूप से अहम हिंद महासागर के द्वीपसमूह पर अपने देश का दावा जताते हुए चागोस के लिए रवाना हो गया है। इस द्वीप समूह पर ब्रिटेन भी दावा करता है जहां फिलहाल एक अमेरिकी सैन्य ठिकाना बना हुआ है। मॉरीशस ने ब्रिटेन की अनुमति के बिना पहली बार द्वीपों के लिए अभियान शुरू किया है।
मॉरीशस से प्रधानमंत्री प्रविंद जुगनाथ ने कहा, 'यह कदम चागोस की संप्रभुता व संप्रभु अधिकारों के लिए उठाया गया है।' यह दावा इसलिए भी मजबूत बताया गया क्योंकि 2019 में अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय (आईसीसी) ने कहा था कि ब्रिटेन ने इस द्वीपसमूह पर अवैध ढंग से अतिक्रमण कर रखा है।
जुगनाथ ने कहा, 1968 में मॉरीशस के ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन से स्वतंत्र होने से कुछ साल पहले तक ब्रिटेन ने इस द्वीपसमूह को अलग नहीं किया था और तब तक चागोस द्वीप मॉरीशस का हिस्सा था। जबकि ब्रिटेन इस द्वीपसमूह को हिंद महासागर क्षेत्र कहता है और उसने गैर-बाध्यकारी फैसले का पालन करने से इनकार कर दिया।
उन्होंने कहा, चागोस द्वीपसमूह 1814 से अपनी संप्रभुता के अधीन है और इसकी निरंतर मौजूदगी रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है। ब्रिटिश विदेश मंत्रालय ने मॉरीशस मामले में अभी कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।