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मौलाना की दादागिरी...'सोफे' में लगाई आग, कहा- इस्लाम में इसपर बैठना भूल जाएं, देखें VIDEO

Neha Dani
21 March 2021 10:04 AM GMT
मौलाना की दादागिरी...सोफे में लगाई आग, कहा- इस्लाम में इसपर बैठना भूल जाएं, देखें VIDEO
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मौलाना को जेल भी हुई थी लेकिन फिर 2009 में जमानत मिल गई.

पाकिस्तान (Pakistan) के एक मौलाना का वीडियो इन दिनों सोशल मीडिया पर काफी वायरल हो रहा है. राजधानी इस्लामाबाद में स्थित लाल मस्जिद (Lal Masjid) के ये मौलाना वीडियो में एक सोफे को आग लगाते हुए दिख रहे हैं. उन्होंने कहा है, 'इस्लाम में सोफे पर बैठना भूल जाएं.' अपने मदरसे में भीड़ के बीच सोफे पर आग लगाते हुए 61 साल के मौलाना ने कहा है, 'पैगंबर और उनके साथ जीवनभर जमीन पर बैठते थे. वो (पैगंबर के साथी) मुजाहिद थे और हमारे पास उन लोगों के लिए कोई जगह नहीं है जो आराम की जिंदगी पसंद करते हों.'

सोशल मीडिया पर वायरल इस वीडियो में मौलाना अब्दुल अजीज (Maulana Abdul Aziz) कहते हैं कि उन्हें मदरसे में सोफे के इस्तेमाल से ठेस पहुंची है और वो भी केवल अपने विद्यार्थियों के लिए, जो मुजाहिद का प्रशिक्षण ले रहे हैं. यानी एक योद्धा बनने के लिए मुश्किल जिंदगी जीने का प्रशिक्षण लेना. वह कहते हैं, 'मेहनत करो.' इस दौरान उनके साथ अन्य लोग प्लास्टिक और कागज के सहारे सोफे को जलाने में मदद करते हैं. अजीज यहीं नहीं रुकते, बल्कि वह सोफे को आग लगाने के बाद चाकू से उसे काटने भी लगते हैं ताकि किसी भी तरह उसका इस्तेमाल ना किया जा सके.

मस्जिद की घेराबंदी की थी



ये ऐसा पहला मामला नहीं है जब मौलाना अब्दुल अजीज और उनके समर्थक चर्चा में आए हैं. बीते साल भी इन लोगों ने लाल मस्जिद में चार महीने तक घेराबंदी की थी और सरकार के साथ एक समझौता करने के बाद यहां से हटे थे. इस समझौते में मौलवी की बेगम द्वारा संचालित मदरसा जामिया हाफसा के लिए एक बड़ी जमीन का पुनः आवंटन करने पर सहमति बनी थी (Pakistani Maulana Sets Fire on Sofa). साल 2019 में पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट (Pakistan Supreme Court) ने प्रशासन के एच -11 में जामिया हाफसा को 20 कनाल भूमि का आवंटन करने के फैसले को रद्द कर दिया था.

सरकार को किया था परेशान



अधिकारियों ने जब इमारत को खाली कराने की कोशिश की जो अजीज अपने समर्थकों के साथ फरवरी 2020 में लाल मस्जिद पहुंच गए. फिर 3 जुलाई से 11 जुलाई, 2007 तक चली लाल मस्जिद की घेराबंदी के दौरान मुशर्रफ सरकार (Musharraf Government) द्वारा उन्हें वहां से हटाने का प्रयास किया गया. तब कम से कम 103 लोगों की मौत हो गई थी. इस घटना से पूरा देश हैरान था. मरने वालों में अजीज के साथी अब्दुल रशीद घानी, उनकी मां और बेटा शामिल थे. ये दोनों ही शख्स तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) का समर्थन करते थे, जो एक आतंकी संगठन है. जिन्होंने देश के कई सार्वजनिक स्थानों पर हमले किए हैं और हजारों लोगों की जान ली है. मौलाना को जेल भी हुई थी लेकिन फिर 2009 में जमानत मिल गई.


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