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मंत्रिमंडल का सामूहिक इस्तीफा, पीएम बने रहेंगे महिंदा राजपक्षे, बनेगी सर्वदलीय सरकार

Subhi
4 April 2022 12:46 AM GMT
मंत्रिमंडल का सामूहिक इस्तीफा, पीएम बने रहेंगे महिंदा राजपक्षे, बनेगी सर्वदलीय सरकार
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श्रीलंका में हिंसा और राजनीतिक अटकलों के बीच मंत्रिमंडल ने देररात सामूहिक इस्तीफा दे दिया। प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे ने त्यागपत्र नहीं दिया है। नेता सदन और शिक्षामंत्री दिनेश गुणवर्धने ने बताया कि मंत्रिमंडल ने इस्तीफा प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे को सौंपा है। उन्होंने इसका कारण नहीं बताया।

श्रीलंका में हिंसा और राजनीतिक अटकलों के बीच मंत्रिमंडल ने देररात सामूहिक इस्तीफा दे दिया। प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे ने त्यागपत्र नहीं दिया है। नेता सदन और शिक्षामंत्री दिनेश गुणवर्धने ने बताया कि मंत्रिमंडल ने इस्तीफा प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे को सौंपा है। उन्होंने इसका कारण नहीं बताया।

सूत्रों ने बताया कि श्रीलंका में जल्द ही सर्वदलीय सरकार बनने जा रही है, जिसमें विपक्ष के नेताओं को भी शामिल किया जाएगा। सभी दलों की ओर से ऐसा प्रस्ताव आया था कि राजनीतिक स्थिरता बनाए रखने के लिए एक नई अंतरिम सरकार की जरूरत है। इससे पहले, श्रीलंकाई पुलिस ने रविवार को केंद्रीय प्रांत में कर्फ्यू के बावजूद सरकार के विरोध में उतरे पेराडेनिया विवि के छात्रों व शिक्षकों पर आंसू गैस के गोले दागे। छात्र सर्वदलीय सरकार बनाने की मांग कर रहे थे। छात्रों ने आरोप लगाया कि कागज की कीमत बढ़ने से परीक्षाएं नहीं कराई जा रही हैं। इससे पूर्व, सरकार ने सोशल मीडिया पर लगी पाबंदी वापस ले ली।

बेटे नमल राजपक्षे ने भी दिया इस्तीफा

प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे को छोड़कर कैबिनेट के सभी मंत्रियों ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। यहां तक कि महिंदा राजपक्षे के बेटे नमल राजपक्षे ने भी अपने सभी विभागों से इस्तीफा दे दिया है। नमल राजपक्षे ने एक ट्वीट में कहा कि "मैंने तत्काल प्रभाव से सभी विभागों से अपने इस्तीफे के बारे में राष्ट्रपति को सूचित कर दिया है, उम्मीद है कि इससे लोगों और श्रीलंका की सरकार को देश में स्थिरता स्थापित करने में महामहिम राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को सहायता होगी। मैं और मेरी पार्टी अपने मतदाताओं के लिए प्रतिबद्ध है।"

आज सुबह 6 बजे खत्म हो जाएगा 36 घंटे का कर्फ्यू

गौरतलब है कि राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने शुक्रवार देर रात एक विशेष गजट अधिसूचना जारी कर श्रीलंका में एक अप्रैल से तत्काल प्रभाव से आपातकाल लागू करने की घोषणा की थी। सरकार ने शनिवार शाम छह बजे से सोमवार (चार अप्रैल) सुबह छह बजे तक 36 घंटे का कर्फ्यू भी लगा दिया था।

सोशल मीडिया पर से हटाया प्रतिबंध

इस बीच, श्रीलंका सरकार ने व्हाट्सएप, ट्विटर, फेसबुक और इंस्टाग्राम जैसे सोशल मीडिया मंचों पर लगाया गया प्रतिबंध रविवार को हटा दिया। देश में सरकार विरोधी प्रदर्शन से पहले देशव्यापी सार्वजनिक आपातकाल घोषित करने और 36 घंटे के कर्फ्यू के साथ ही सोशल मीडिया पर प्रतिबंध लगा दिया गया था।

प्रतिबंध हटाए जाने के बारे में एक अधिकारी ने कहा कि फेसबुक, ट्विटर, यूट्यूब, इंस्टाग्राम, टॉकटॉक, स्नैपचैट, व्हाट्सऐप, वाइबर, टेलीग्राम और फेसबुक मैसेंजर की सेवाएं 15 घंटे के बाद बहाल कर दी गईं। इन सेवाओं को पूरी तरह या आंशिक रूप से अवरुद्ध कर दिया गया था।

इससे पहले 'कोलंबो पेज' अखबार की खबर में कहा गया था कि इस कदम का उद्देश्य घंटों तक बिजली कटौती के बीच भोजन, आवश्यक वस्तुओं, ईंधन और दवाओं की कमी से जूझ रहे लोगों को राहत पहुंचाने में सरकार की नाकामी के विरोध में कोलंबो में लोगों को एकत्रित होने से रोकना था। साइबर सुरक्षा और इंटरनेट पर नजर रखने वाले निगरानी संगठन 'नेटब्लॉक्स' ने श्रीलंका में मध्यरात्रि के बाद रविवार को फेसबुक, ट्विटर, व्हाट्सऐप, वाइबर और यू्ट्यूब समेत कई सोशल मीडिया मंचों पर पाबंदी हटाए जाने की पुष्टि की।

राष्ट्रपति आवास के बाहर विरोध प्रदर्शन

कर्फ्यू के बावजूद रविवार शाम को व्यापक स्तर पर प्रदर्शन हुए। प्रदर्शनकारी राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे के इस्तीफे की मांग कर रहे हैं। गौरतलब है कि राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने शुक्रवार देर रात एक विशेष गजट अधिसूचना जारी कर श्रीलंका में एक अप्रैल से तत्काल प्रभाव से आपातकाल लागू करने की घोषणा की थी राष्ट्रपति गोतबाया राजपक्षे के आवास के बाहर विरोध प्रदर्शन के बाद पहले से ही लागू 36 घंटे के राष्ट्रव्यापी कर्फ्यू के शीर्ष पर शहर में कर्फ्यू लगाने के बाद रविवार को कोलंबो की सड़कों पर सन्नाटा पसरा रहा।

कर्फ्यू के आदेशों की अवहेलना करते हुए, श्रीलंका के प्रमुख विपक्षी दल समागी जाना बालवेगया के सांसदों ने राष्ट्रपति राजपक्षे के आपातकाल की स्थिति और अन्य प्रतिबंध लगाने के कदम के खिलाफ कोलंबो में सरकार विरोधी विरोध प्रदर्शन किया।

कर्फ्यू के बावजूद प्रदर्शन

इस बीच कर्फ्यू के खिलाफ देश के दूसरे सबसे बड़े शहर कैंडी के बाहरी इलाके में पेरेडेनिया विश्वविद्यालय के करीब प्रदर्शन कर रहे शोधकर्ताओं और अन्य विद्यार्थियों पर पुलिस ने आंसू गैस के गोले छोड़े। विपक्षी समागी जन बालावेग्या पार्टी के सांसद लक्ष्मण किरिएला ने बताया कि पुलिस ने विद्यार्थियों को वापस खदेड़ दिया। इस संबंध में पूछने पर पुलिस ने कोई जवाब नहीं दिया।

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