विश्व
म्यांमार में सैन्य तख्तापलट के खिलाफ बड़े स्तर पर विरोध प्रदर्शन, संयुक्त राष्ट्र ने जताई हिंसा की आशंका
Rounak Dey
18 Feb 2021 3:13 AM GMT
x
संयुक्त राष्ट्र के एक मानवाधिकार विशेषज्ञ ने आगाह किया है
म्यांमार में सैन्य तख्तापलट के खिलाफ बुधवार को बड़े स्तर पर विरोध प्रदर्शन हुए. वहीं, संयुक्त राष्ट्र के एक मानवाधिकार विशेषज्ञ ने आगाह किया है कि यांगून और अन्य शहरों में सैनिकों की तैनाती से हिंसा की बड़ी घटना की आशंका है. संयुक्त राष्ट्र के दूत टॉम एंड्रयूज ने कहा कि उन्हें सूचना मिली है कि म्यांमा के सबसे शहर यांगून में और सैनिक भेजे जा रहे हैं.
जिनेवा में संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय द्वारा मंगलवार को जारी एक बयान में उन्होंने कहा, 'पूर्व में भी सैनिकों के जमावड़े के बाद बड़े स्तर पर हत्या, लोगों के लापता होने और हिरासत में लिए जाने के मामले सामने आए थे.' एंड्रयूज ने कहा, 'लोगों के प्रदर्शन और सैनिकों के जमावड़े से मुझे इसकी आशंका हो रही है. हमें आशंका है कि म्यांमार के लोगों के खिलाफ सेना और दमनात्मक कार्रवाई कर सकती है.'
यांगून, दूसरे सबसे बड़े शहर मांडले और राजधानी नेपीतॉ में पांच या ज्यादा लोगों के जमा होने पर पाबंदी के बावजूद बड़ी संख्या में लोग प्रदर्शन के लिए निकले. अपदस्थ नेता आंग सान सू ची की नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी पार्टी के प्रवक्ता क्यी टो ने कहा, 'आइए कूच में हिस्सा लें. तख्तापलट के खिलाफ एकजुटता प्रदर्शित करें. इस तख्तापलट ने युवाओं और हमारे देश के भविष्य को बर्बाद कर दिया है.'
यांगून में बुधवार को हुए प्रदर्शन को अब तक का सबसे बड़ा प्रदर्शन बताया गया है. प्रदर्शनकारियों ने सुरक्षाकर्मियों का रास्ता अवरुद्ध करने के लिए इंजन में खराबी का बहाना बनाकर बीच सड़कों पर अपनी गाड़ियां खड़ी कर दीं. एक प्रदर्शनकारी ने कहा, 'हमने सड़क पर गाड़ियां इसलिए लगाई है ताकि यह दिखा सकें कि हम सैन्य शासन नहीं चाहते हैं.'
सू की की पार्टी की एक पूर्व सांसद क्यी प्येर ने कहा कि सैन्य जुंटा को अपेक्षा नहीं थी कि इतने लोग प्रदर्शन के लिए सड़कों पर उतरेंगे. उन्होंने सेना के मंगलवार के उस दावे का हवाला दिया कि धीरे- धीरे प्रदर्शनकारियों की संख्या घटती जाएगी. उन्होंने कहा, 'उसने (सेना) लोगों को निराश किया है. हम कमजोर नहीं है, हम सैन्य शासन के खिलाफ लड़ाई से पीछे नहीं हटेंगे. इसलिए हम फिर से सड़कों पर आए हैं.'
नेपीतॉ में भी बैंक कर्मचारियों और इंजीनियरों समेत हजारों लोगों ने मार्च में हिस्सा लिया और सू की तथा अन्य नेताओं को रिहा किए जाने की मांग की. मांडले में भी प्रदर्शनकारी सड़कों पर उतरे. मांडले में सोमवार को सुरक्षा बलों ने प्रदर्शनकारियों के खिलाफ कार्रवाई की थी और कुछ लोग घायल भी हुए थे. म्यांमार में सेना ने एक फरवरी को तख्तापलट करते हुए सू ची समेत कई नेताओं को हिरासत में ले लिया था.
सू ची के वकील ने बताया कि पुलिस ने उनके खिलाफ नए आरोप लगाए हैं ताकि उन्हें हिरासत में रखा जा सके. इससे पहले सू ची पर अवैध तरीके से वॉकी टॉकी रखने के आरोप लगाए गए थे. सू ची के वकील खिन माउंग जॉ ने बताया कि कोरोना वायरस संबंधी पाबंदी के उल्लंघन के तहत नए आरोप लगाए गए हैं. नए आरोपों के तहत उन्हें अधिकतम तीन साल जेल की सजा हो सकती है.
ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने सू ची के खिलाफ नए आरोप लगाए जाने की कड़ी निंदा की है. उन्होंने ट्वीट किया, 'म्यांमार की सेना ने आंग सान सू ची के खिलाफ मिथ्या आरोप लगाए हैं. यह उनके मानवाधिकारों का सरासर उल्लंघन है. हम म्यांमार के लोगों के साथ खड़े हैं और सुनिश्चित करेंगे कि इस तख्तापलट के जिम्मेदार लोगों को इसका परिणाम भुगतना पड़े.' संयुक्त राष्ट्र के प्रवक्ता स्टीफन दुजारिक ने भी कहा कि दुनिया ने एकजुट होकर तख्तापलट की निंदा की है और उन्होंने सू ची के खिलाफ नए आरोप वापस लेने और उन्हें रिहा किए जाने की मांग की.
सेना ने कहा है कि सरकार पिछले साल हुए चुनाव में धांधली के आरोपों की जांच करने में नाकाम रही, जिस वजह से सेना को दखल देना पड़ा. इस चुनाव में सू ची की नेशनल लीग फॉर डेमोक्रेसी पार्टी की जबर्दस्त जीत हुई थी. हालांकि, चुनाव आयोग ने किसी भी धांधली से इनकार किया है. सेना ने मंगलवार रात को भी इंटरनेट पर रोक लगा दी. इसके अलावा एक कानून भी बनाने की तैयारी है जिसके तहत साइबर जगत में निगरानी बढ़ाई जाएगी.
Next Story