एक बीबी, एक बेटी, लेकिन एक जासूस। भारत से लेकर पाकिस्तान तक इन दिनों सीमा हैदर का मामला सुर्खियों में है। कोई उसे आईएसआई का जासूस बता रहा है। पाक सेना में उसके भाई और रिश्तेदारों की वजह से वो तमाम सुरक्षा एजेंसियों की रडार पर भी है। आज आपको ऐसी महिला जासूस की कहानी बताने जा रहा है जो परिभाषा है त्याग की और जो परिभाषा है बलिदान की। इस जासूस का नाम सहमत खान हैं।
देश के लिए अपनी जिंदगी दांव पर लगा दी
ये भारत पाकिस्तान 1971 के युद्ध की बात है। भारतीय नेवी के एक रिटायर्ड ऑफिसर हरिंदर सिक्का कारगिल वॉर के दौरान आर्मी पर कुछ रिसर्च कर रहे थे। इसी रिसर्च में उनकी मुलाकात एक सेना के अधिकारी से हुई जिसने सहमत खान की कहानी बताई। हालांकि उस अफसर ने सहमत खान की ज्यादा जानकारी नहीं और नाम नहीं बताई। लेकिन इतना जरूर बताया कि एक ऐसी कश्मीरी लड़की पाकिस्तान में जाती है। वहां के सेना के अधिकारी से शादी करती है और उसी घर में रहकर अपने पिता के सामने भारत को खुफिया जानकारी भेजती है। सहमत खान अपनी जान पर खेलकर न जाने कितने भारतीय जवानों की जान को बचाती है। सहमत 2 साल दुश्मनों के बीच रहकर जब भारत वापस आई तो वह गर्भवती थी। बाद में उन्होंने एक बेटे को जन्म दिया जो भारतीय सेना में शामिल हुआ।
दिया बेटे को जन्म
हरिंदर सिक्का ने पूरी कहानी सुनने के बाद पता किया और पंजाब के गांव मलेरकोटला में पहुंच गए। सिक्का ने उस औरत की व्याख्या एक शांत और कम बोलने वाली महिला के रूप में की। बहुत मिन्नतें के बाद उस महिला जासूस ने अपनी कहानी उन्हें बताई। हरिंदर सिक्का को ये किताब लिखने ख्याल तब आया जब कारगिल युद्ध के बारे में रिसर्च करते हुए उनकी मुलाकात भारतीय सेना में अधिकारी सहमत के बेटे से हुई।