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दुर्लभ पिंक मून के कई अलग-अलग नाम, जानिए इसका धार्मिक और वैज्ञानिक महत्व

Neha Dani
17 April 2022 10:50 AM GMT
दुर्लभ पिंक मून के कई अलग-अलग नाम, जानिए इसका धार्मिक और वैज्ञानिक महत्व
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पूर्णिमा हनुमान जयंती से मेल खाती है, जो भगवान हनुमान के जन्म का उत्सव है, जो अधिकांश क्षेत्रों में चैत्र की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है.

आसमान में पिंक मून का बेहद ही अद्भूत और खूबसूरत नजारा दिखा. 16 अप्रैल यानि शनिवार को फुल पिंक मून ((Full Pink Moon) निकला. दुनिया के अलग-अलग जगहों पर लोग इसे 15 अप्रैल से 18 अप्रैल के बीच देख सकेंगे. इस सीजन में गुलाबी रंग के फूल ज्यादा निकलते हैं इस वजह से इसे अप्रैल का पिंक मून कहा जाता है. चांद का ये नजारा मध्यरात्रि को 12.15 बजे अपने चरम पर था. दुर्लभ पिंक मून के कई अलग-अलग नाम भी हैं, जैसे स्प्राउटिंग ग्रास मून, एग मून, फिश मून. पिंक मून ने इस सप्ताह के अंत में रात के आकाश को रौशन किया.

पिंक मून क्यों पड़ा नाम?
गुलाबी चांद यानि पिंक मून. ये नाम इसलिए नहीं रखा गया क्योंकि चंद्रमा गुलाबी रंग में दिखाई दिया. इसे ऐसा इसलिए कहा जाता है क्योंकि अप्रैल की पूर्णिमा का नाम हर्ब मॉस पिंक के नाम पर रखा गया था, जिसे रेंगने वाले फ़्लॉक्स के नाम से भी जाना जाता है, मॉस फ़्लॉक्स पूर्वी अमेरिका का एक पौधा जो वसंत के शुरुआती समय में निकलने वाले फूलों में से एक है. इस मौसम में गुलाबी फूल खूब निकलते हैं इस कारण से इसे अप्रैल का पिंक मून से जाना जाता है. यहूदी इसे पीसैक या पासओवर मून भी कहते हैं तो वही ईसाई धर्म में इसे पाश्चल मून कहा जाता है. इस चांद के निकलने के बाद ईस्टर की तारीख तय होती है. आमतौर पर ईस्टर का अवकाश जिसे पास्का के नाम से भा जाना जाता है इस ऋतु की पहली पूर्णिमा के बाद पहले रविवार को मनाया जाता है.
वैज्ञानिक और धार्मिक महत्व
अमेरिका में वॉशिंगटन स्थित नासा (NASA) मुख्यालय के साइंस मिशन डायरेक्टोरेट के प्रोग्राम एक्जीक्यूटिव गॉर्डन जॉनसन का कहना है कि हम इस सप्ताह को फुल मून वीकेंड कह सकते हैं. पूर्ण चंद्र यानी फुल मून महीने में एक बार तक होता है, जब सूरज, धरती और चांद एक काल्पनिक 180 डिग्री की लाइन पर आते हैं. बौद्धों के लिए, विशेष रूप से श्रीलंका में यह पूर्णिमा बक पोया है, बुद्ध की श्रीलंका यात्रा की याद दिलाता है. हिंदुओं के लिए यह पूर्णिमा हनुमान जयंती से मेल खाती है, जो भगवान हनुमान के जन्म का उत्सव है, जो अधिकांश क्षेत्रों में चैत्र की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है.


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