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खुफिया एजेंसी CIA के कई मुखबिर पकड़े और मारे गए

Ritisha Jaiswal
6 Oct 2021 9:30 AM GMT
खुफिया एजेंसी CIA के कई मुखबिर पकड़े और मारे गए
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टॉप अमेरिकी काउंटर इंटेलिजेंस के अधिकारियों ने पिछले हफ्ते खुफिया एजेंसी CIA के हरेक बेस का विश्लेषण करने के बाद चेतावनी जारी की थी

जनता से रिश्ता वेबडेस्क | टॉप अमेरिकी काउंटर इंटेलिजेंस के अधिकारियों ने पिछले हफ्ते खुफिया एजेंसी CIA के हरेक बेस का विश्लेषण करने के बाद चेतावनी जारी की थी कि अमेरिका के लिए जासूसी करने वाले लोग पकड़े जा रहे हैं या मारे जा रहे हैं। सीआईए के काउंटर-इंटेलिजेंस मिशन सेंटर ने पिछले कई सालों में ऐसे दर्जनों मामलों को देखा है जिनमें विदेशी मुखबिर को गिरफ्तार किया गया या मार दिया गया। न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट बताती है कि रूस, चीन और ईरान जैसे देशों में सीआईए के मुखबिरों का शिकार किया जा रहा है। कई केस में ये एजेंट दूसरे देश से मिलकर डबल एजेंट बन गए।

इसके पीछे का कारण खराब ट्रेडक्राफ्ट, सोर्सेज पर बहुत अधिक भरोसा करना, विदेशी खुफिया एजेंसियों को कम आंकना और मुखबिरों की भर्ती पर कम ध्यान देना बताया जा रहा है। रिपोर्ट के मुताबिक सीआईए ने अपने एक मेमो में कहा कि जासूस अपने सूत्रों पर बहुत ज्‍यादा भरोसा न करें और विदेशी खुफिया एजेंसियों को कम मानकर न चलें। एक पूर्व अधिकारी ने मामले को लेकर कहा है कि मुखबिरों का नुकसान कोई नई समस्या नहीं है लेकिन लगातार मुखबिरों का पकड़ा जाना चिंता का विषय है। कई बार चीज़ें हमारे नियंत्रण में नहीं होती हैं लेकिन कई बार हम लापरवाही करते हैं जिसके बचने की जरूरत है।
सीआईए का मानना है कुछ अमेरिकियों ने ईरान और चीन को उसके एजेंटों के बारे में सूचना दी जिससे ये जासूस उनकी पकड़ में आए। विदेशी खुफिया एजेंसियां एआई, बायोमेट्रिक्स, हैकिंग आदि तकनीक का इस्‍तेमाल करक सीआईए अधिकारियों पर नजर रख रहे हैं जिससे मुखबिर पकड़ में आ रहे हैं।
अफगानिस्तान में तालिबान शासन के आने से सीआईए परेशान है क्योंकि अब उन्हें अफगानिस्तान में खुफिया जानकारियां जमा करने में और मुश्किल होगी। ऐसे में सीआईए पर पाकिस्तान में मुखबिरों के नेटवर्क को और मजबूत बनाने का दबाव है। इसके साथ ही चीन और रूस जैसे देशों से भी अमेरिका को लगातार चुनौती दी जा रही है। ऐसे में नेटवर्क बनाना और सोर्सेस की रक्षा करना पहले से अधिक महत्वपूर्ण है।पूर्व अधिकारियों का मानना है कि ईरान और चीन जैसे देश में वहां की खुफिया एजेंसियां सीआईए द्वारा इस्तेमाल की जा रही क्लासिफाइड कम्युनिकेशन सिस्टम तक पहुंच चुकी हैं। एक्सपर्ट्स का मानना है कि कई बार मिशन पर फोकस इतना बढ़ जाता है कि सुरक्षा उपाय पर उचित ध्यान नहीं दिया जाता है और इसी का नतीजा है कि सोर्सेस पकड़े जाते हैं। कई केस में डबल एजेंट घातक साबित होते हैं।


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