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कई अफ्रीकी देश चीन की कंपनियों से अनुबंध तोड़ने लगे, ड्रैगन को झटका

Neha Dani
22 Sep 2021 2:56 AM GMT
कई अफ्रीकी देश चीन की कंपनियों से अनुबंध तोड़ने लगे, ड्रैगन को झटका
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अफ्रीका में रद हो रही चीन की ज्यादातर परियोजनाएं उसकी महत्वाकांक्षी बेल्ट एंड रोड इनीशिएटिव (बीआरआइ) का हिस्सा हैं।

निवेश और कर्ज के नाम पर विस्तार की चीन की रणनीति को धीरे-धीरे पूरी दुनिया समझने लगी है। इसी का नतीजा है कि कई अफ्रीकी देश चीन की कंपनियों से अनुबंध तोड़ने लगे हैं। सिंगापुर पोस्ट की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि अनुबंध रद कर रहे देश चीन के लिए चिंता का सबब बन रहे हैं।रिपोर्ट में बताया गया कि बीजिंग एवरीवे ट्रैफिक एंड लाइटिंग टेक कंपनी से घाना ने अनुबंध तोड़ लिया है। यह कंपनी वहां इंटेलिजेंट ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम तैयार कर रही थी। घाना सरकार ने इसलिए अनुबंध रद कर दिया क्योंकि कंपनी का काम संतोषजनक नहीं था। घाना के बाद डेमोक्रेटिक रिपब्लिक आफ कांगो (डीआरसी) के राष्ट्रपति फेलिक्स शिसेकेडी ने भी चीन के साथ हुए खनन अनुबंधों की समीक्षा का आदेश दिया है। उन्होंने कहा कि वह अपने देश के लिए अच्छी डील चाहते हैं।

चीन की विस्तारवादी नीति से नाराजगी जताते हुए उन्होंने कहा, 'जिन लोगों ने हमारे देश में अनुबंध किए, वे अमीर होते गए, जबकि हमारे लोग गरीब बने रहे।' 2001 से 2019 तक सत्ता में रहे कांगो के राष्ट्रपति ने 2008 में चीन की सरकारी कंपनियों सिनोहाइड्रो कार्प और चाइना रेलवे ग्रुप से समझौता किया था। इन कंपनियों को सड़कें, अस्पताल और पुल बनाने थे। बदले में उन्होंने कांगो की सिकोमाइंस वेंचर में 68 फीसद हिस्सेदारी का सौदा किया था।पिछले साल जुलाई में केन्या हाई कोर्ट ने केन्या और चीन के बीच स्टैंडर्ड गाज रेलवे के निर्माण के लिए हुआ 3.2 अरब डालर (23,600 करोड़ रुपये) का सौदा रद करने का आदेश सुनाया था। अदालत ने पूरे प्रोजेक्ट को अवैध करार दिया था।एक रिपोर्ट के मुताबिक, वर्ष 2000 से 2019 के बीच चीन ने अफ्रीकी सरकार और उनकी कंपनियों के साथ 153 अरब डालर (11.28 लाख करोड़ रुपये) के 1,141 लोन अनुबंधों पर हस्ताक्षर किया है। सिंगापुर पोस्ट ने कहा कि गरीब अफ्रीकी देशों के लिए यह कर्ज असहनीय हो गया है। कोरोना काल में कई अफ्रीकी देशों के लिए इन लोन को आगे बढ़ाना मुश्किल हो गया है। अफ्रीका में रद हो रही चीन की ज्यादातर परियोजनाएं उसकी महत्वाकांक्षी बेल्ट एंड रोड इनीशिएटिव (बीआरआइ) का हिस्सा हैं।
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