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मणिपुर सरकार ने दिया आदेश, म्यांमार के शरणार्थियों को न दे भोजन और न ही मिलेगी पनाह
Apurva Srivastav
29 March 2021 5:15 PM GMT
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मणिपुर सरकार (Manipur Government) ने स्थानीय अधिकारियों और नागरिक समाज को म्यांमार (Myanmar) के शरणार्थियों (Refugees) को भोजन व आश्रय ने देने को लेकर आदेश जारी किया है
मणिपुर सरकार (Manipur Government) ने स्थानीय अधिकारियों और नागरिक समाज को म्यांमार (Myanmar) के शरणार्थियों (Refugees) को भोजन व आश्रय ने देने को लेकर आदेश जारी किया है. आदेश के अनुसार, मानवीय आधार पर केवल 'गंभीर चोटों' के मामले में चिकित्सा संबंधी ध्यान दिया जा सकता है. म्यांमार के नागरिकों के अवैध प्रवेश के संबंध में उचित कार्रवाई करने के लिए चंदेल, टेंग्नौपाल, कामजोंग, उखरूल और चुराचंदपुर जिलों के उपायुक्तों को निर्देश दिया गया है.
भारत यह मान कर चल रहा है कि पड़ोसी देश से बड़ी संख्या में शरणार्थी आएंगे. दरअसल, शुक्रवार को सैन्य लीडर्स ने यांगून शहर सहित देश के नौ इलाकों में प्रदर्शनकारी लोगों पर गोलियां चलवाई, जिसमें बच्चों सहित कम से कम 90 लोग मारे गए. जारी आदेश के अनुसार, मणिपुर सरकार ने कहा कि जिला प्रशासन या सिविल सोसायटी को शरणार्थियों को भोजन और आश्रय देने के लिए शिविर नहीं खोलने चाहिए.
सोशल मीडिया पर फैसले की तीखी आलोचना
आदेश में आगे कहा गया है, 'बांग्लादेश से आए शरणार्थियों की वजह से दशकों तक हुए टकराव को ध्यान में रखते हुए आधार पंजीकरण तत्काल प्रभाव से रोक दिया जाना चाहिए. साथ ही आधार पंजीकरण किट को सुरक्षित कस्टडी में रखा जाना चाहिए. बिरेन सिंह सरकार के इस आदेश की सोशल मीडिया पर तीखी आलोचना हो रही है. कई लोग इस आदेश को अमानवीय बता रहे हैं जो कि देश के आतिथ्य की लंबी परंपरा के खिलाफ है.
लोकतांत्रिक दिशा में हुई प्रगति पर विपरीत असर
करीब पांच दशक के सैन्य शासन के बाद लोकतांत्रिक दिशा में हुई प्रगति पर इस सैन्य तख्तापलट ने विपरीत असर डाला है. प्रदर्शनकारियों पर यह कार्रवाई ऐसे समय हुई जब म्यांमार की सेना ने देश की राजधानी नेपीता में परेड के साथ वार्षिक सशस्त्र बल दिवस का अवकाश मनाया. इन हत्याओं को लेकर म्यांमार की सेना की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर व्यापक निंदा हो रही है. संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंतोनियो गुतारेस ने कहा कि वह बच्चों समेत आम नागरिकों की हत्या से स्तब्ध हैं.
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