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लंदन । यहां के प्रसिदध डॉ अर्न्स्ट वॉन श्वार्ज़ का मानना है कि स्टेम सेल रिसर्च की बदौलत इस सदी के अंत तक इंसान 150 साल की उम्र तक जीवित रहे पाएगा। डॉ. अर्न्स्ट सीडर्स सिनाई मेडिकल सेंटर, यूसीएलए में डेविड गेफेन स्कूल ऑफ मेडिसिन और दक्षिणी कैलिफोर्निया अस्पताल के हार्ट इंस्टीट्यूट में ट्रिपल बोर्ड-प्रमाणित इंटर्निस्ट, हृदय रोग विशेषज्ञ और हृदय प्रत्यारोपण विशेषज्ञ हैं।
उन्होंने “सीक्रेट्स ऑफ इम्मोर्टैलिटी” और “द सीक्रेट वर्ल्ड ऑफ स्टेम सेल थेरेपी” जैसी किताबें लिखी हैं। उनका मानना है कि जीवन को लंबा खींचा जा सकता है औऱ हो सकता है कुछ सालों के भीतर लोग 120 या 150 सालों तक जीवित रह सकें।हालाँकि, डॉ. अर्न्स्ट इस बात पर जोर देते हैं कि स्वस्थ भोजन करने और नियमित रूप से व्यायाम करने के बिना यह संभव नहीं होगा। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि 30 वर्ष की आयु वह समय है जब किसी को लंबे जीवन के लिए अपनी जीवनशैली में बदलाव की जरूरत होती है।
स्टेम सेल शोध के बारे में बात करते हुए, डॉ. अर्न्स्ट ने कहा, “पिछले कुछ वर्षों में, हम जिसे हम प्रतिक्रियाशील दवा कहते हैं, उससे हटकर अब हम मुख्य रूप से रीजनरेटिव दवाओं जिन्हें स्टेम सेल थेरेपी कहा जाता है उसके उपयोग की ओर मुड़े हैं। “भले ही स्टेम कोशिकाएं एफडीए-अनुमोदित नहीं हैं, फिर भी यही चिकित्सा का भविष्य है जहां हम क्षति की मरम्मत करने में सक्षम हैं। और क्षति की मरम्मत करके हम जीवन को लम्बा खींच सकते हैं, या उम्र बढ़ने की कुछ प्रक्रियाओं को भी कम कर सकते हैं।हालांकि आधिकारिक रिकॉर्ड के अनुसार, मानव जाति के इतिहास में केवल एक ही व्यक्ति 120 वर्ष की आयु तक जीवित रहा है। फ्रांस के जीन कैलमेंट, जिनकी 1997 में 122 वर्ष और 164 दिन की आयु में मृत्यु हो गई थी, यह उपलब्धि हासिल करने वाले वह एकमात्र व्यक्ति हैं।
यहां तक कि कैलमेंट की लंबी उम्र पर भी उन सिद्धांतों के साथ सवाल उठाए गए, जिनमें कहा गया था कि कैलमेंट की बेटी वास्तव में उनके जैसा होने का दिखावा कर रही थी। बता दें कि 1900 की शुरूआत से, इंसानों की उम्र में दुनियाभर इज़ाफा देखने को मिला है, इसका श्रेय विज्ञान और स्वास्थ्य सेवाओं को जाता है, जिनकी बदौलत वैक्सीन का विकास हो सका और उचित इलाज से हम उन बीमारियों पर भी जीत हासिल कर पाए जो कभी लाइलाज और जानलेवा मानी जाती थी।
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