मेडिकल साइंस में कई नए प्रयोग होते रहते हैं. हम आपको ऐसे ही एक क्रांतिकारी प्रयोग के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसे आज पूरे 10 दिन हो चुके हैं. अमेरिका में 57 साल के शख्स के शरीर में सुअर का हृदय लगाया गया था, वो शख्स सर्जरी के 10 दिन बाद भी जीवित है. अमेरिका की Maryland University ने बताया है कि इस शख्स का स्वास्थ्य पहले के मुकाबले स्थिर है और अब वो काफी अच्छा महसूस कर रहा है.
सर्जरी को हो गए 10 दिन
10 दिन बाद भी शख्स का जिंदा रहना बहुत बड़ी बात है. क्योंकि इससे पहले जब साल 1997 में एक मरीज के शरीर में सुअर का ह्रदय लगाया गया था, तब उसकी 7 दिन के बाद ही मृत्यु हो गई थी. लेकिन इस बार सर्जरी को 10 दिन बीतने के बावजूद भी ये शख्स ठीक है. अभी ये शख्स मेडिकल सपोर्ट पर है. अमेरिका के डॉक्टरों ने बताया है कि, जब किसी इंसान के शरीर में किसी जानवर का ह्रदय लगाया जाता है, तब शुरुआत के 10 दिन सबसे ज्यादा मुश्किल होते हैं. क्योंकि इन 10 दिनों में इस सर्जरी के Side Effects दिख जाते हैं और मरीज की जान भी जा सकती है. लेकिन इस मामले में अमेरिका के डॉक्टरों ने 10 दिन की इस बाधा को अब पार कर लिया है.
भारत में 147 लोगों में सिर्फ 1 को ही मिल पाता है ये Organ
अगर, सुअर का हृदय इस व्यक्ति को नया जीवनदान देता है तो ये प्रयोग दुनिया के उन लाखों लोगों की जान बचाने में कामयाब रहेगा, जिनका Organs की कमी की वजह से Heart Transplant नहीं हो पाता. अभी भारत में Heart की जरूरत वाले हर 147 लोगों में सिर्फ 1 को ही ये Organ मिल पाता है.
हालांकि आज जब पूरी दुनिया की नजर अमेरिका के डॉक्टरों पर है और सब लोग इस 57 साल के मरीज की बात कर रहे हैं. तब आज से 25 साल पहले वर्ष 1997 में पहली बार इस तरह का प्रयोग करने वाले भारत के मशहूर सर्जन डॉक्टर धनी राम बरुआ आज बुरी स्थिति में हैं.
भारत के डॉक्टर ने किया था ऐसा प्रयोग
25 वर्ष पहले 1997 में डॉक्टर धनी राम बरुआ ने Hong Kong के एक डॉक्टर के साथ मिलकर असम के गुवाहाटी में एक व्यक्ति के शरीर में सुअर का Heart Transplant किया था. हालांकि तब ये ऑपरेशन कामयाब नहीं हुआ था और 7 दिन के बाद ही मरीज की मौत हो गई थी. इसके बाद डॉक्टर बरुआ को गैर इरादतन हत्या के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया था. आज डॉक्टर बरुआ गरीबी में अपने दिन गुजार रहे हैं.
डॉक्टर बरुआ के जिस प्रयोग को दुनिया ने पागलपन बताया था, आज वही प्रयोग एक क्रांतिकारी बदलाव ला सकता है. लेकिन डॉक्टर बरुआ आज बुरे हालत में अपना जीवन यापन कर रहे हैं और बीमार भी हैं.