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नए पीएम इस्माइल साबरी याकूब ने किया ऐतिहासिक समझौते पर हस्ताक्षर

Deepa Sahu
13 Sep 2021 6:45 PM GMT
नए पीएम इस्माइल साबरी याकूब ने किया ऐतिहासिक समझौते पर हस्ताक्षर
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सत्ता में आने के एक महीने के भीतर मलेशिया के नए प्रधानमंत्री ने कई तरह के सुधार करने की बात कही है.

सत्ता में आने के एक महीने के भीतर मलेशिया के नए प्रधानमंत्री ने कई तरह के सुधार करने की बात कही है. इसी दिशा में अपनी कमजोर सरकार को स्थिर करने के लिए उन्होंने विपक्ष का समर्थन हासिल कर लिया है. इस बीच सोमवार को देश की संसद का सत्र शुरू हुआ. प्रधानमंत्री इस्माइल साबरी याकूब (Ismail Sabri Yaakob) ने सोमवार को अनवर इब्राहीम के नेतृत्व वाले मुख्य विपक्षी गुट के साथ एक अभूतपूर्व सहयोग समझौते पर हस्ताक्षर किए.

याकूब ने दो साल में होने वाले आम चुनावों से पहले उनके शासन को कमजोर करने के किसी भी प्रयास को रोकने के लिए यह समझौता किया है. 'राजनीतिक स्थिरता और परिवर्तन' समझौता के तहत इस्माइल को अनवर के गुट के 88 सांसदों का समर्थन मिलेगा, जो 222 सदस्यीय सदन में उनका समर्थन कर रहे 114 सांसदों के अतिरिक्त है (Cooperation Agreement Malaysia). इस्माइल ने एक बयान में कहा कि समझौते से द्विदलीय सहयोग और राजनीतिक सुधार होंगे जो शासन को मजबूत करेंगे.
विकास में मददगार होगा समझौता ज्ञापन
इस्माइल ने कहा, 'सरकार को विश्वास है कि यह समझौता ज्ञापन ना केवल सभी राजनीतिक मतभेदों को दूर करने में मदद करेगा बल्कि यह भी सुनिश्चित करेगा कि देश का विकास समग्र और समावेशी ढंग से हो.' अधिकारियों ने कहा कि समझौते के विस्तृत विवरण का जल्द ही खुलासा किया जाएगा. उन्होंने कहा कि वे शासन और संसदीय सुधारों को मजबूत करने पर ध्यान केंद्रित करेंगे (Malaysia Politics Crisis). गौरतलब है कि इस्माइल ने पिछले हफ्ते पार्टी दलबदल को रोकने के लिए नए कानून बनाने और प्रधानमंत्री का कार्यकाल 10 साल तक सीमित करने सहित कई सुधारों की पेशकश की थी.
प्रधानमंत्री के सामने क्या हैं चुनौती?
प्रधानमंत्री इस्माइल साबरी याकूब के सामने सबसे बड़ी चुनौती ध्रुवीकृत समाज को एकजुट करने और महामारी के कारण लगातार बिगड़ते हालात के बीच अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने की है. पूर्व प्रधानमंत्री मुहिद्दीन यासिन (Muhyiddin Yassin) के कार्यकाल में याकूब उपप्रधानमंत्री थे (Challenges For Ismail Sabri Yaakob). गठबंधन में आपसी झगड़े के कारण बहुमत खो देने के बाद यासिन ने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था. वह 18 महीने से भी कम समय तक इस पद पर रहे हैं.


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