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नियंत्रित करने के लिए खनिकों के पास कोई उपकरण होता है.
दक्षिणी चीन (Southern China) में बन रही एक सुरंग (Tunnel) में रात के समय आई बाढ़ के चलते पानी (Flooding in Tunnel) भर गया. इस वजह से सुरंग के भीतर काम कर रहे 14 निर्माण मजदूर फंस (14 workers trapped in Tunnel) गए हैं. गुरुवार सुबह से ही बचाव दल इन मजदूरों को बाहर निकालने में जुटा हुआ है. आपातकालीन प्रबंधन विभाग ने एक ऑनलाइन पोस्ट में कहा कि ये बाढ़ सुबह 3.30 बजे जुहाई शहर में आई. बाढ़ आने के कारणों की जांच की जा रही है.
मदद के लिए एक कमांड सेंटर सेट अप कर दिया गया है और कई शहरों की एजेंसियों से बचाव टीम को घटनास्थल पर भेज दिया गया है. जुहाई (Zhuhai) पर्ल नदी डेल्टा (Pearl River delta) के मुहाने पर मकाओ (Macao) के पास ग्वांगडोंग प्रांत (Guangdong province) में एक तटीय शहर है. यह चीन के शुरुआती विशेष आर्थिक क्षेत्रों (Special economic zones) में से एक था जब सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी (Communist Party) ने लगभग 40 साल पहले अर्थव्यवस्था को खोलना शुरू किया था.
पिछले महीने शांक्सी प्रांत में 13 खनिकों की मौत हुई
इससे पहले, जून में एक बड़ा खदान हादसा हुआ, जब देश के उत्तरी हिस्से में स्थित शांक्सी प्रांत में लौह अयस्क की खदान में मजदूर फंस गए. इस खदान में फंसे सभी 13 खनिकों की मौत हो गई. 10 जून को दाइशियान काउंटी में स्थित दाहोंगकाई खदान में पानी भर गया था. इसके बाद वहां कुएं से खनिकों के शवों को बाहर निकाला गया. बचाव अभियान चलाने वाली एजेंसी के स्थानीय मुख्यालय के मुताबिक 1,084 कर्मियों के बचाव दल ने लगातार छह दिन तक काम किया. इसके बाद भी खनिकों की जान नहीं बचाई जा सकी.
चीन में खदानों में सुरक्षा को लेकर बरती जाती है लापरवाही
शिन्हुआ समाचार एजेंसी ने बताया था कि इस मामले में पुलिस ने 13 संदिग्धों को हिरासत में लिया है, जिन पर लापरवाही बरतने का आरोप था. हादसे की वजह का पता लगाने के लिए जांच की शुरुआत की गई. चीन की कोयला खदानें दुनियाभर में सबसे ज्यादा जोखिमभरी मानी जाती हैं. साल 2009 में पूरी दुनिया में खदान संबंधी सबसे ज्यादा हादसे चीन में हुए थे. इसे लेकर सरकारी कार्य सुरक्षा प्रशासन की ओर से जारी आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक 2,631 कोयला खनिकों की मौत हो गई थी. ज्यादातर हादसे सुरक्षा नियमों का पालन नहीं करने के कारण होते हैं. इन खदानों में सांस लेने के लिए हवा तक नहीं होती. और ना ही आग लगने पर उसे नियंत्रित करने के लिए खनिकों के पास कोई उपकरण होता है.
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