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इसके बाद पांडव अपनी जगह को चले गए.
आज देशभर में महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जा रहा है और इस मौके पर भारत के शिव मंदिरों में जमकर भीड़ है. अगर हम आपको बताएं कि पाकिस्तान में भी एक शिव मंदिर है और इस शिव मंदिर को शिव नेत्र के तौर पर जाना जाता है, तो शायद आपको यकीन नहीं होगा.
पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में यह मंदिर है और इसे कटासराज मंदिर के तौर पर जानते हैं. कटासराज, पाकिस्तान स्थित भगवान शिव का सबसे प्राचीन मंदिर है. इस मंदिर का जिक्र महाभारत काल में भी मिलता है. हिंदू धर्म में इस मंदिर को बहुत पवित्र माना जाता है.
अमृत बना भगवान का आंसू
कटासराज मंदिर पंजाब प्रांत के उत्तर में स्थित नमककोह की पहाड़ियों में स्थित है और हिंदुओं का प्रसिद्ध तीर्थ स्थान है. यहां एक प्राचीन शिव मंदिर के अलावा कुछ और भी मंदिर भी हैं. कहते हैं कि ये सभी मंदिर 10वीं सदी के हैं.
इतिहासकारों एवं पुरात्तव विभाग के अनुसार, इस जगह को शिव नेत्र माना जाता है. इतिहासकारों के मुताबिक जब माता सती ने खुद के प्राणों की आहुति दी थी तो भगवान शिव की आंखों से दो आंसू टपके थे.
हिंदू धर्म की मान्यताओं के मुताबिक एक आंसू कटास पर टपका जहां अमृत बन गया. यह आज भी महान सरोवर अमृत कुंड तीर्थ स्थान कटासराज के रूप में है. बताया जाता है कि दूसरा आंसू राजस्थान के अजमेर में और पुष्कर में टपका था.
पांडवों के वनवास से जुड़ी कहानी
यह कहानी भी है कि महाभारत में पांडव वनवास के दिनों में इन्ही पहाड़ियों में अज्ञातवास में रहे थे. जब पांडव अज्ञातवास के रास्ते पर थे तो उन्हें प्यास लगी और वे पानी की खोज में यहां तक पहुंचे थे. इस कुण्ड पर यक्ष का अधिकार था. सबसे पहले नकुल पानी लेने गए और जब वह पानी पीने लगे तो यक्ष ने आवाज दी की.
उन्होंने कहा कि पानी पर उनका अधिकार है और वह इसे पीने की कोशिश न करें. यक्ष ने नकुल से का कि अगर उन्हें पानी लेना है तो फिर पहले उनके प्रश्नों का उत्तर देना होगा. नकुल सही जवाब नहीं दे सके और और पानी पीने लगे. यक्ष ने उन्हें बेहोश कर दिया.
युधिष्ठर ने यक्ष को दिया जवाब
ठीक इसी तरह से सहदेव, अर्जुन और भीम एक-एक करके पानी लेने गये. कोई भी यक्ष के सवालों का जवाब नहीं दे सका और गलत जवाब के बाद भी उन्होंने पानी लेने की कोशिशें की. यक्ष ने चारों भाइयों को बेहोश कर दिया.
अंत में चारों भाइयों को खोजते हुए सबसे बड़े भाई युधिष्ठिर, कुंड के करीब पहुंचे और उन्होंने अपने भाईयों को बेहोश देखकर पूछा कि इन्हें जिसने भी बेहोश किया है वह सामने आए.
यक्ष प्रकट हुए और उन्होंने कहा चारों भाईयों ने बिना उनके सवालों का जवाब दिए पानी पीने की कोशिश की और उनका यह हाल हुआ. यक्ष ने कहा कि अगर युधिष्ठिर ने भी ऐसा किया तो फिर उन्हें भी बेहोश कर दिया जाएगा.
इस पर युधिष्ठिर यक्ष के सवालों का जवाब देने को राजी हुए. युधिष्ठिर के हर सवाल का सही जवाब दिया और यक्ष ने प्रसन्न होकर पांडवों को जीवित कर दिया. इसके बाद पांडव अपनी जगह को चले गए.
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