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आज से पूरे देश में नवरात्रि के पावन पर्व की शुरुआत हो गई
आज से पूरे देश में नवरात्रि के पावन पर्व की शुरुआत हो गई. भारत में तो हर घर में इस पर्व को मनाया जाता ही है मगर साथ ही साथ पाकिस्तान में भी इस मौके पर जश्न का माहौल नजर आता है. पड़ोसी मुल्क में कई ऐसे मंदिर हैं जहां पर भारी तादाद में हिंदु समुदाय के लोग इकट्ठा होते हैं. लेकिन बलूचिस्तान में एक मंदिर ऐसा है जिसे मुसलमान समुदाय के लोग भी काफी सम्मान की नजर से देखते हैं. आइए आपको इसी मंदिर के बारे में बताते हैं.
51 शक्तिपीठों में शामिल
बलूचिस्तान में स्थित हिंगलाज माता मंदिर 51 शक्तिपीठों में से एक है. इस मंदिर को नानी मंदिर के तौर पर भी जानते हैं. भारत में जो अहमियत वैष्णो देवी धाम की है, वही स्थान बलूचिस्तान में इस मंदिर को हासिल है. हिंगलाज माता मंदिर भी पहाड़ पर स्थित है और हिंगोल नदी के किनारे पर है.
इस मंदिर में हर वर्ष नवरात्रि के मौके पर काफी धूम-धाम देखी जा सकती है. हर साल यहां पर श्रद्धालुओं की तरफ से नौ दिनों तक भंडारे और फलहार का आयोजन भी किया जाता है. इसके अलावा यहां हिंगलाज यात्रा का आयोजन होता है. हिंगलाज यात्रा के दौरान प्रतिवर्ष 250,000 हिंदु श्रद्धालु हिस्सा लेते हैं. कहा जाता है कि भगवान श्रीराम के पावन कदम हिंगलाज माता के मंदिर में भी पड़े थे.
रावण वध के बाद यहां पहुंचे थे भगवान श्रीराम
अध्यात्म के विषयों के जानकारों की मानें तो जब भगवान श्रीराम ने रावण का वध किया तो उसके बाद वह इस मंदिर में दर्शन के लिए आए थे. नवरात्रि के दौरान यहां पर हिंदू सिंधी श्रद्धालुओं की भीड़ तो रहती ही है साथ में मुसलमान धर्म के लोग भी मंदिर के दर्शन के लिए आते हैं. स्थानीय मुसलमान समुदाय के लोगों ने हिंदुओं के साथ मिलकर हिंगलाज माता श्राइन को तीर्थस्थान बनाने में योगदान दिया है. कई लोग इसे तीर्थस्थल को 'नानी की हज' भी कहते हैं.
क्या होते हैं शक्तिपीठ
हिंदू धर्म के अनुसार शक्तिपीठ यानी वो पवित्र जगह जहां पर देवी के 51 अंगों के टुकड़े गिरे थे. ये शक्तिपीठ भारत के अलावा, बांग्लादेश, पाकिस्तान, चीन, श्रीलंका और नेपाल में फैले हुए हैं. जी हां, चीन के कब्जे वाले तिब्बत में एक शक्तिपीठ है. एक तो बलूचिस्तान में भी है.
यह मंदिर एक गुफा में है और बलूचिस्तान की ल्यारी तहसील में है. यह जगह सिंधु घाटी के पश्चिम में 130 किलोमीटर दूर है. माकरान के रेगिस्तान में किरतार पहाड़ों के अंत में हिंगोल नदी के पश्चिमी किनारे पर मंदिर स्थित है. पाकिस्तान में दो और शक्ति पीठ हैं और इनमें से एक कराविपुर है जो कराची में है. इसे शंकराचार्य पीठ के नाम से भी जानते हैं. दूसरा शक्ति पीठ शारदा पीठ है जो लाइन ऑफ कंट्रोल (एलओसी) पर स्थित है.
भारत से भी दर्शन करने जाते श्रद्धालु
भारत से हर साल हजारों की संख्या में श्रद्धालु इन श्राइन के दर्शन करने के लिए जाते हैं. भारत के जोधपुर से पाकिस्तान के कराची तक जाने वाली थार एक्सप्रेस के जरिए श्रद्धालु माता के दर्शन के लिए जाते थे. लेकिन अगस्त में आर्टिकल 370 हटने के बाद भारत और पाक के बीच बढ़ते तनाव के मद्देनजर इस ट्रेन को कैंसिल कर दिया गया. फिलहाल यह ट्रेन कैंसिल है और श्रद्धालु इस मंदिर के दर्शन के लिए नहीं जा पा रहे हैं.
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