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लिमजारोएनराट प्रधानमंत्री नहीं बन पा रहे

Sonam
21 July 2023 4:44 AM GMT
लिमजारोएनराट प्रधानमंत्री नहीं बन पा रहे
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थाईलैंड की राजनीति में अजीबोगरीब घटना घटी है. यहां चुनाव जीतने वाली पार्टी के नेता होकर भी पिटा लिमजारोएनराट पीएम नहीं बन पा रहे. उनकी उम्मीदवारी को ही बैन कर दिया गया है. थाईलैंड की संसद ने मई के आम चुनाव में पहले जगह पर रहने वाली प्रगतिशील ‘मूव फॉरवर्ड पार्टी’ के नेता की दूसरी बार पीएम के रूप में नियुक्ति के प्रस्ताव के विरूद्ध बुधवार को मतदान किया है. पिटा लिमजारोएनराट ने प्रतिनिधि सभा में अधिकतर सीटों पर अतिक्रमण करने वाली पार्टियों का एक गठबंधन बनाया था. पीएम पद के लिए उनका नामांकन हालांकि पिछले हफ्ते प्रतिनिधि सभा और सीनेट के संयुक्त मतदान में टिक नहीं पाया.

रूढ़िवादी सैन्य-नियुक्त सीनेटरों (सांसद) ने वैचारिक मतभेदों पर अपना समर्थन देने से इनकार कर दिया था. संयुक्त सत्र में बुधवार को इस बात पर बहस हुई कि क्या पिटा को दूसरी बार नामांकित किया जा सकता है, और सदन के अध्यक्ष वान मुहम्मद नूर माथा ने इस प्रश्न को संयुक्त मतदान के लिए रखा. उन्हें दोबारा चुनाव लड़ने से रोकने का प्रस्ताव 312 के मुकाबले 395 मतों से पारित हो गया. आठ सासंदों ने मतदान की प्रक्रिया में हिस्सा नहीं लिया. अध्यक्ष ने पत्रकारों को बताया कि दूसरे दौर का मतदान 27 जुलाई को होना है.

क्या कहते हैं विशेषज्ञ

थाई राजनीति जानकारों ने बोला कि पिटा का पतन वस्तुतः 2017 के संविधान द्वारा पूर्व निर्धारित था, जो सेना शासन के अनुसार अधिनियमित किया गया था और गैर-निर्वाचित सीनेटरों को प्रधानमंत्रियों की पुष्टि करने में किरदार देने जैसे तरीकों के साथ स्थापित शाही आदेश की चुनौतियों को कम करने के लिए बनाया गया था. कानून का विशिष्ट लक्ष्य थाकसिन शिनावात्रा थे, जिन्हें सेना ने 2006 के तख्तापलट में बाहर कर दिया था, लेकिन नियमों का उपयोग किसी भी खतरे के विरूद्ध किया जा सकता है. पिटा को बुधवार को लगा यह दूसरा झटका था. इससे पहले संवैधानिक न्यायालय ने उन्हें संसद से तब तक निलंबित कर दिया जब तक इस पर निर्णय नहीं आ जाता कि उन्होंने चुनाव कानून का उल्लंघन किया है या नहीं.

जेल भी जा सकते हैं पिटा

हालांकि न्यायालय की घोषणा के बावजूद पिटा को पीएम के रूप में नामांकन और चयन की अनुमति मिल सकती थी, लेकिन संसद की कार्रवाई के बाद इस आसार पर विराम लग गया और पिटा कानूनी झमेले में फंस गए. अब यदि न्यायालय का निर्णय उनके विरूद्ध आता है तो उन्हें कारागार भी हो सकती है. इंग्लैंड के बर्मिंघम यूनिवर्सिटी के रिसर्च फेलो और सेना की सत्तावादी राजनीति के बारे में एक पुस्तक के लेखक पेट्रा एल्डरमैन ने कहा, “यहां मुख्य मामला यह है कि थाईलैंड की रूढ़िवादी अधिष्ठान चुनावों में प्रतिस्पर्धा करके सत्ता हासिल करने में असमर्थ है.” क्या उन्हें कानूनी तौर पर दोबारा नामांकित किया जा सकता है, पिटा ने इस मामले पर बहस के दौरान बोला कि वह न्यायालय के आदेश का पालन करेंगे.

अपनी पार्टी की चुनावी जीत के संदर्भ में उन्होंने कहा, “मुझे लगता है थाईलैंड बदल गया है और 14 मई के बाद से यह कभी भी पहले जैसा नहीं रहेगा.” उन्होंने कहा, “जनता आधी जंग जीत चुकी है. अभी आधी बाकी है. यद्यपि मैं अभी अपना कर्तव्य नहीं निभा पाऊंगा, मैं सभी सदस्यों से बोलना चाहूंगा कि वे अब से लोगों की देखभाल करने में सहायता करें. (भाषा)

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