विश्व

स्तनधारियों की तरह इंसानों के लिए भी ऐसे सांस लेना संभव, चूहों और सूअरों पर किया प्रयोग

Apurva Srivastav
15 May 2021 9:04 AM GMT
स्तनधारियों की तरह इंसानों के लिए भी ऐसे सांस लेना संभव, चूहों और सूअरों पर किया प्रयोग
x
शोधकर्ताओं ने चूहों और सूअरों पर भी जब यह प्रयोग किया

जापान (Japan) के वैज्ञानिकों ने एक ऐसा दावा किया है, जो सुनने में थोड़ा अजीब है लेकिन कारगर हो सकता है. वैज्ञानिकों की रिसर्च टीम का कहना है कि स्तनधारियों के लिए गुदा (Anus) से भी ऑक्सीजन (Oxygen) लेना संभव है और आपात स्थिति में मनुष्य पर भी यह लागू हो सकता है. रिसर्च रिपोर्ट में बताया गया है कि आपात स्थिति में कुछ समुद्री जीव अपनी आंतों से सांस लेते हैं. टोक्यो मेडिकल एंड डेंटल यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने चूहों और सूअरों पर भी जब यह प्रयोग किया, तो उसके नतीजे भी सकारात्मक मिले.

होता है Alternate Ventilatory Mechanisms
यह शोध मेड जर्नल (Med Journal) में शुक्रवार को प्रकाशित हुआ है. इसमें कहा गया है कि स्तनधारियों (Mammals) की तरह उन मनुष्यों पर भी यह लागू हो सकता है, जिनके श्वसन तंत्र में दिक्कत हो और वेंटिलेटर्स कम हों या अपर्याप्त हों. अधिकांश जानवर और मनुष्य फेफड़ों के इस्तेमाल से ऑक्सीजन लेते हैं और कार्बन डाई ऑक्साइड छोड़ते हैं, लेकिन कुछ प्रजातियों में वैकल्पिक वेंटिलेटर जैसा तंत्र होता है.
सीधे Blood Flow तक पहुंचती है दवा
वैज्ञानिकों ने बताया कि लोचे, कैटफिश, सी-क्यूकम्बर और एक प्रकार की मकड़ी (Loaches, Catfish, Sea Cucumbers and Orb-Weaving Spiders) आपात स्थिति में गुदा से ऑक्सीजन ले सकती है. इसे एक्सटर्नल वेटिलेशन वाया एनस या EVA कहा जाता है. शोध के मुख्य लेखक रोयो ओकाबे (Ryo Okabe) ने कहा, 'गुदा में लाइनिंग सतह के नीचे खून की नसें होती हैं, इसका अर्थ है कि गुदा के जरिए दवा देने पर यह सीधे रक्त प्रवाह तक पहुंच जाती है. यह देखकर हमारी टीम को उत्सुकता हुई कि क्या ऑक्सीजन को भी इसी तरह खून तक पहुंचाया जा सकता है'.
Research के लिए दो तरीके आजमाए
उन्होंने आगे कहा कि इसके लिए हमने दो तरीकों का इस्तेमाल किया. एक के तहत हमने ऑक्सीजन से वंचित चूहों और सूअरों को गुदा के रास्ते ऑक्सीजन दी और दूसरे में उन्हें गैस एवं ऑक्सीजन से भरपूर एनिमा दिया गया. इसके बाद शोधकर्ताओं ने रक्त के प्रवाह को बढ़ाने के लिए मलाशय के अस्तर को रगड़कर सूजन पैदा की, जिससे ऑक्सीजन आपूर्ति प्रभावी हुई. हालांकि, इस तरह की तैयारी मानवों के लिए अस्वीकार्य होगी, इसलिए वैज्ञानिकों ने ऑक्सीजन युक्त पेरफ्लूरोडेकेलिन, एक लिक्विड जो कि सुरक्षित है, का प्रयोग किया.


Next Story