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बिच्छू की तरह इंसानी शरीर भी है जहर? आपकी थूक के बारे में जानकर चौक जाएंगे

Gulabi
6 Nov 2021 9:13 AM GMT
बिच्छू की तरह इंसानी शरीर भी है जहर? आपकी थूक के बारे में जानकर चौक जाएंगे
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सांप-बिच्छुओं के डंक से हमें बचने की सलाह दी जाती है, क्योंकि उनमें जहर होता है

सांप-बिच्छुओं के डंक से हमें बचने की सलाह दी जाती है, क्योंकि उनमें जहर (Venom) होता है. ये जहर कई बार इंसानों की मौत का कारण बनता है. क्या आपने कभी सोचा है कि इंसान भी इन सांप-बिच्छुओं की तरह जहर पैदा कर सकता है. जापान के वैज्ञानिकों का कहना है कि केवल इंसान ही नहीं, बल्कि और भी कई स्तनधारी जीव, जहर पैदा कर सकते हैं.


जापान के ओकिनावा इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी (Okinawa Institute of Science and Technology) के शोधकर्ताओं ने कुछ समय पहले इस संबंध में अध्ययन किया था. इस रिसर्च स्टडी के अनुसार, इंसान भी जहर पैदा कर सकते हैं. बस उनके शरीद का वह हिस्सा जरूरत के हिसाब से ही विकसित होता है. कुछ अन्य स्तनधारी जीवों में भी ऐसा होता है.
लार ग्रंथियां विकसित हो जाए तो…
जापान के वैज्ञानिकों का मानना है कि इंसानों की फ्लैक्सिबल जीन्स, सलाइवरी ग्लैंड्स यानी लार ग्रंथियों को जहरीले और गैर-जहरीले जीवों के अनुसार विकसित करता है. एनिमल किंगडम में जीन्स के प्रभाव की वजह से लार ग्रंथियां करीब 100 बार विकसित हुई हैं या फिर जरूरत के हिसाब से बदली हैं. रिसर्चर्स मानते हैं कि इंसान भी उसी स्तर का जहर(Oral Venom) पैदा कर सकते हैं. लेकिन इसके लिए जरूरी है कि उनकी लार ग्रंथियां भी उसी तरह से विकसित हो जाएं.

वैज्ञानिक ये मानते आए हैं कि जुबानी जहर लार ग्रंथियों के विकसित होने का ही नतीजा होता है. लेकिन अब वैज्ञानिकों का कहना है कि इसके पीछे मॉलीक्यूलर मैकेनिक्स (Molecular Mechanics) भी काम करता है. रिसर्चर्स कहते हैं कि कई जीवों में एक हाउसकीपिंग जीन्स होता है जो टॉक्सिन्स यानी विषाक्त पदार्थ शरीर के अंदर तैयार करता है. हालांकि यह जहर नहीं होता.

इस खास सांप पर की गई रिसर्च स्टडी
इंसान भी सांपों की तरह जहर बना सकते हैं, इसके लिए वैज्ञानिकों ने ओकिनावा में आसानी से पाए जाने वाले ताइवान हाबू नाम के भूरे पिट वाइपर की स्टडी की. वैज्ञानिकों ने यह पता लगाया कि कौन सा जीन जहर पैदा करने के लिए जरूरी होता है और यह सामान्य तौर पर कौन से जीवों में पाया जाता है. टीम को कई ऐसे जीन्स मिले.

शरीर के अंदर मौजूद टिश्यूज में ये जहर पैदा होता है. इन ऊतकों से निकलने वाले केमिकल्स को अमीनोट्स (Aminotes) कहा जाता है. इनमें से कई जीन्स फोल्डिंग प्रोटीन्स बनाते हैं. इन्हीं Folding Proteins से बड़े पैमाने पर विषाक्त रसायन निकलता है. ये केमिकल्स प्रोटीन होते हैं. हैरानी की बात यह है कि कई जीन्स इंसानों की लार ग्रंथियों में भारी मात्रा में पाए जाते हैं, जो स्टिव प्रोटीन पैदा करते हैं.

इंसानों की थूक में होता है ये प्रोटीन
रिसर्चर्स बताते हैं कि इंसानों की लार ग्रंथियों से निकलने वाले थूक में कैलीक्रेन्स नाम का एक अलग तरह का प्रोटीन निकलता है, जो अन्य प्रोटीन को पचाने का काम करते हैं. कैलीक्रेन्स बेहद स्थाई होते हैं, जो म्यूटेट नहीं होते. जबकि सांप, बिच्छुओं जैसे जहरीले जीवों में यह प्रोटीन म्यूटेट हो जाता है. इसी कारण जहर बनाने का सिस्टम विकसित होता है.

रिसर्चर्स का कहना है कि कैलीक्रेन्स प्रोटीन दुनिया के सभी जहरीले जीवों के जहर में किसी न किसी रूप में मिलता है. यही प्रोटीन इंसानों में सांप जैसे जहर को पैदा करने की क्षमता रखता है. हालांकि, इंसानों में यह आसानी से विकसित नहीं होता है. रिसर्चर्स ये भी मानते हैं कि प्रकृति उन जीवों को जहर देती है, जिन्हें अपनी रक्षा के लिए इसकी जरूरत है. इंसानों ने जहर बनाने की प्रक्रिया शुरुआत में ही खो दी. इंसानों को कभी इसकी जरूरत भी नहीं पड़ी.
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