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उन्होंने आगे कहा कि मुझे जान का खतरा था इसलिए मैंने एक महिला से शादी करने का फैसला किया था.
अफगानिस्तान(Afghanistan) में तालिबान(Taliban) राज आने के साथ ही इस देश में रहने वाले कई समुदायों के लिए चिंताएं और चुनौतियां काफी बढ़ चुकी हैं. महिलाएं तो खौफ में हैं हीं, एलजीबीटीक्यू समुदाय (LGBTQ community) के लोग भी बुरी तरह डरे हुए हैं. इस कम्युनिटी से आने वाले ज्यादातर लोग मानते हैं कि अगर तालिबान को उनकी सेक्शुएलिटी के बारे में पता चला तो वे जिंदा नहीं बचेंगे.
पिंक न्यूज के साथ बातचीत में एक अफगानी शख्स ने कहा कि जब मैं टीनेजर था तब मुझे एहसास हो गया था कि मैं गे हूं. मुझे कई तरह की चुनौतियां झेलनी पड़ी है. मेरे करीबी दोस्तों ने मुझे मारने की कोशिश की है. एक बार तो मेरे पिता ने भी मुझे जान से मारने की कोशिश की थी क्योंकि उन्हें मुझे मेरे एक दोस्त के साथ देखकर शक हुआ था कि मैं समलैंगिक हूं.
उन्होंने आगे कहा कि मुझे जान का खतरा था इसलिए मैंने एक महिला से शादी करने का फैसला किया था. यह मेरी लाइफ का सबसे मुश्किल फैसला है. मैं आज भी अपने इमोशन्स के साथ लड़ता रहता हूं. कभी-कभी रोता हूं और अपने आपको चोट पहुंचाने की कोशिश करता हूं लेकिन मुझे अगर जिंदा रहना है तो मुझे यूं ही घुट-घुट कर रहना होगा.
इस शख्स का कहना था कि अगर तालिबान को पता चलता है कि कोई शख्स एलजीबीटीक्यू समुदाय का है तो उसे मौत की सजा ही मिलनी है. मैंने सभी पड़ोसी देशों में शरणार्थी बनने के लिए अप्लाई किया है. कोई भी देश अफगानिस्तान के लोगों के लिए वीजा जारी नहीं कर रहा है. लेकिन भारत ने फ्री वीजा की घोषणा की थी.
उन्होंने अपनी बात आगे बढ़ाते हुए कहा कि लेकिन जब सभी बॉर्डर्स बंद हैं और कोई फ्लाइट नहीं है तो हम आखिर कैसे वहां जा सकते हैं. मुझे लगता है कि मैं यहां फंस चुका हूं और यहीं मर जाऊंगा. गौरतलब है कि 18 अगस्त को 130 ग्लोबल संस्थाओं ने अफगानिस्तान के एलजीबीटीक्यू समुदाय की सुरक्षा के लिए एक जॉइन्ट स्टेटमेंट जारी किया था.
एक और समलैंगिक शख्स ने पिंक न्यूज से बातचीत में कहा कि तालिबान हमें 1400 साल पीछे ले जाना चाहता है. आप उनके साथ कोई तर्क नहीं कर सकते. वो 1400 साल पहले वाले दौर में जीना चाहते हैं जब मोहम्मद सउदी अरब के रेगिस्तान में रहते थे. नास्तिक और एलजीबीक्यूटी लोगों के लिए तालिबान राज में कोई जगह नहीं है.
वहीं इस मामले में अफगानिस्तान के गे लेखक नेमत सदात ने पिंक न्यूज के साथ बातचीत में कहा कि तालिबान एलजीबीटीक्यू समुदाय के लोगों को ढूंढ-ढूंढ कर मारता है. वे गे और बाईसेक्शुएल लोगों को ऑनलाइन या पब्लिक स्पेस में आकर्षित करने की कोशिश करेंगे और सुनसान जगह ले जाकर उनका कत्ल कर देंगे.
नेमत ने कहा कि तालिबान ऐसे काम के लिए प्रोफेशनल लोगों का इस्तेमाल करता है. मैं ये जानता हूं क्योंकि करजाई और अशरफ गनी के दौर में तालिबान के अंडरकवर लोग ऐसा ही करते थे और कई ऐसे लोग जो इन घटनाओं में बच गए हैं, उन्होंने आकर मुझसे अपनी आपबीती साझा की है.
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