घाना की संसद ने मृत्युदंड को राष्ट्र से खत्म करने के लिए मतदान किया है. अब घाना में राजद्रोह को छोड़कर अन्य सभी अपराधों के लिये मृत्युदंड को कानूनी रूप से समाप्त करने के पक्ष में मतदान किया गया है. इस मतदान से घाना में पिछले तीन दशकों से फांसी की सजा पर स्वत: रोक को औपचारिक रूप मिल गया है. घाना में किसी क्राइम के लिये अंतिम बार 30 साल पहले 1993 में फांसी दी गई थी.
मंगलवार को संसद सत्र के दौरान कानून निर्माताओं ने क्राइम से जुड़े कानून में प्रस्तावित संशोधन का मतदान के जरिये समर्थन किया. प्रस्तावित विधेयक को अब राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद कानूनी मान्यता मिल जाएगी. संसद की कार्यवाही का राष्ट्रीय टेलीविजन पर सीधा प्रसारण किया गया. कानून में परिवर्तन के बाद छह स्त्रियों समेत उन 176 कैदियों की सजा को जीवन भर जेल में बदल दिया जाएगा जिन्हें विभिन्न अपराधों में गुनेहगार ठहराए जाने के बाद मृत्यु की सजा सुनाई गई थी. घाना के कानूनी संसाधन केंद्र के कार्यक्रम अधिकारी इनॉक जेंगरे ने कहा, “घाना हर किसी के कानूनी और मौलिक मानवाधिकार को कायम रख रहा है. किसी भी आदमी या संस्था को दूसरे की जान लेने का अधिकार नहीं होना चाहिए.”
मृत्युदंड का विरोध करने वाले समूह ‘वर्ल्ड कोएलिशन अगेंस्ट द डेथ पेनल्टी’ के अनुसार, 26 अफ्रीकी राष्ट्रों ने मृत्यु की सजा को पूरी तरह से अवैध घोषित कर दिया था, जबकि घाना और 14 अन्य राष्ट्रों में यह प्रथा कानूनी रूप से लागू थी, लेकिन 2022 तक किसी को फांसी नहीं दी गई. घाना में अंतिम बार 1993 में फांसी दी गई थी. अक्करा के वकील फ्रांसिस गैसू ने कहा, “सामान्य तौर पर आम जनता ने स्वीकार कर लिया है कि (मृत्युदंड) उपयोगी नहीं हो सकता है. इन्साफ प्रक्रिया में गलतियां होना सामान्य बात है और पुलिस जांच में भी गलतियां होती हैं. इसलिए इस तरह की प्रथा पर कायम नहीं रहा जा सकता.
” हालांकि, घाना में हर कोई नहीं मानता है कि इस कानून को खत्म कर दिया जाना चाहिए. राजधानी अक्करा के एक सामाजिक कार्यकर्ता रेमंड कुदाह ने कहा, “यह कुछ लोगों को क्राइम की दुनिया में बने रहने के लिये प्रोत्साहित करेगा, क्योंकि उसे पता है कि क्राइम करने के बाद यदि वह गुनेहगार पाया गया तो उसे सिर्फ़ कारावास जाना पड़ेगा