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इन देशों ने साल 2015 के पेरिस समझौते पर हस्ताक्षर किए थे।
संयुक्त राष्ट्र जलवायु शिखर सम्मेलन यानी काप-26 की औपचारिक शुरुआत हो गई है। इसमें अगले करीब दो हफ्ते तक 200 देशों के प्रतिनिधि वैश्विक स्तर पर बढ़ते तापमान की साझा चुनौतियों से निपटने पर गहन चर्चा करेंगे। सम्मेलन 12 नवंबर तक चलेगा। स्काटलैंड के सबसे बड़े शहर ग्लासगो में शुरू हुए सम्मेलन की अध्यक्षता करते हुए ब्रिटेन के भारतीय मूल के मंत्री आलोक शर्मा ने कहा कि ग्लोबल वार्मिग को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित रखने के लक्ष्य को जीवित रखने के लिए यह सम्मेलन हमारे लिए आखिरी और सबसे अच्छी उम्मीद है।
अपने उद्घाटन भाषण में शर्मा ने कहा कि हम वार्ता को आगे बढ़ा सकते हैं। हम कार्बन उत्सर्जन में कटौती पर बड़ी कार्रवाई का शुभारंभ कर सकते हैं। सस्ते और स्वच्छ ऊर्जा के अवसरों का लाभ उठा सकते हैं। उन्होंने कहा कि सबसे ज्यादा ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन करने वाले चीन में इसमें कटौती के लिए कुछ समय सीमा तय की है, लेकिन यह पर्याप्त नहीं है। चीन से इस दिशा में ठोस कार्रवाई की उम्मीद है।
हालांकि, संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुतेरस ने ग्लासगो सम्मेलन के विफल होने की आशंका जता चुके हैं। जी-20 के नेताओं से पिछले हफ्ते गुतेरस ने कहा था कि ग्लासगो से कुछ हासिल होने की उम्मीद नहीं है। ग्लासगो शिखर सम्मेलन में सोमवार और मंगलवार को दुनिया भर के राष्ट्राध्यक्ष और नेता शामिल होंगे। इनमें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन और ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जानसन, जर्मन चांसलर एंजेला मर्केल शामिल हैं। उसके बाद उनके प्रतिनिधि और अधिकारियों का दल बैठक में चर्चा करेगा। पीएम मोदी इसमें शिरकत करने के लिए ब्रिटेन रवाना हो गए हैं।
काप-26 क्या है?
काप-26 से मतलब 'कांफ्रेंस आफ पार्टीज' की 26वां सम्मेलन है। यह जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर रूपरेखा तैयार करने के लिए आयोजित होने वाला सम्मेलन है। साल 1995 में पहली बार इसका आयोजन किया गया। पहले सम्मेलन से पूर्व साल 1992 में जापान के क्योटो शहर में एक बैठक हुई थी, जिसमें शामिल देशों ने ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने के लिए प्रतिबद्धता जताई थी। इन देशों ने साल 2015 के पेरिस समझौते पर हस्ताक्षर किए थे।
Neha Dani
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