रिपोर्ट के अनुसार, राजस्थान के बोहा गांव के पास रेत और गाद को खुरचकर बनाई गई रेखाएं चार अलग-अलग प्रतीक बनाती हैं। इसमें से एक प्रतीक 2364 फीट लंबा और 650 फीट चौड़ा है। यह साढे सात मील की रेखा के अंदर बना हुआ है। इस स्टडी के लेखर किसी भी संस्था से संबंधित नहीं हैं। उनका दावा है कि ये लाइनें कम से कम 150 साल पुरानी हैं। हालांकि, उनका दावा है कि ये इससे भी पुरानी हो सकती हैं। गूगल अर्थ में इस टीम को आठ साइटें मिली हैं, जिनमें से सात को प्राकृतिक रूप से बने होने का दावा किया गया है। इस टीम ने साल 2016 में इस क्षेत्र के ऊपर ड्रोन उड़ाकर पूरे एरिये की मैपिंग भी की थी। ड्रोन उड़ान के दौरान उन्होंने पाया कि आठ अनुमानित स्थलों में से सात वास्तव में असफल वृक्षारोपण के लिए खोदे गए गड्ढे थे। उन्होंने पाया कि बोहा गांव के पास आठवें स्थान पर चार अलग-अलग प्रतीक थे, जो अलग-अलग लंबाई और 20 इंच चौड़ी रेखाओं से बने थे।