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ओमिक्रॉन का पता लगाने के लिए कोरियाई वैज्ञानिको ने विकसित की नई तकनीक, 20 मिनट में पूरी होगी जांच

Renuka Sahu
13 Dec 2021 5:37 AM GMT
ओमिक्रॉन का पता लगाने के लिए कोरियाई वैज्ञानिको ने विकसित की नई तकनीक, 20 मिनट में पूरी होगी जांच
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फाइल फोटो 

कोरिया के रिसर्चर्स ने ओमिक्रॉन वेरिएंट की पहचान के लिए मॉलिक्यूलर डायग्नोस्टिक टेक्नॉलॉजी विकसित की है.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। कोरिया (Korea) के रिसर्चर्स ने ओमिक्रॉन वेरिएंट (Omicron Variant) की पहचान के लिए मॉलिक्यूलर डायग्नोस्टिक टेक्नॉलॉजी (Molecular Diagnostic Technology) विकसित की है. इसके दावा किया जा रहा है कि 20 मिनट में ही पता चल जाएगा कि व्यक्ति वायरस के ओमिक्रॉन वेरिएंट से संक्रमित है या नहीं. यह शोध हाल ही में पूरा हुआ है हालांकि अभी इसको दुनिया भर में पहुंचने में वक्त लग सकता है. POSTECH ने 10 तारीख को ऐलान किया कि केमिकल इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर ली जंग-वूक के नेतृत्व में एक रिसर्ट टीम ने मॉलिक्यूलर डायग्नोस्टिक टेक्नॉलॉजी विकसित की है जो केवल 20-30 मिनट में ओमिक्रॉन वेरिएंट का पता लगा सकती है और इसका परिणाम ऑनलाइन जारी होगा.

रिसर्च टीम के अनुसार, मॉलिक्यूलर डायग्नोस्टिक टेक्नॉलॉजी सिंगल-न्यूक्लियोटाइड आधार पर म्यूटेशन को अलग कर सकती है, इसलिए यह 'स्टील्थ ओमिक्रॉन' का पता लगा सकती है जिसका पता RT-PCR के जरिए लगाना मुश्किल होता है. कोरिया में रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र COVID-19 वेरिएंट का पता लगाने के लिए फिलहाल तीन तरीकों का उपयोग कर रहा है: जिसमें फुल जिनोम सिक्वेंसिंग, टार्गेट डीएनए (स्पाइक प्रोटीन जैसे म्यूटेशन) एनालिसिस और RT-PCR जांच शामिल है.
कैसे काम करती है यह तकनीक?
डेल्टा वेरिएंट के मामले में, RT-PCR जांच द्वारा इसका पता लगाया जा सकता है, लेकिन ओमिक्रॉन में यह कारगर नहीं है. इस बार नई विकसित तकनीक डीएनए या आरएनए को सीक्वेंस करने की प्रक्रिया नहीं है बल्कि मॉलिक्यूलर डायग्नोस्टिक टेक्नोलॉजी है. मौजूदा तकनीक केवल वायरस के कुछ ही चीजों का पता लगा पाती है लेकिन मॉलिक्यूलर डायग्नोस्टिक टेक्नोलॉजी को न्यूक्लिक एसिड-बाइंडिंग रिस्पॉन्स का कारण जानने के लिए डिजाइन किया गया है ताकि जब COVID-19 RNA मौजूद हो तभी इसका जल्दी से पता लगाया जा सके.
प्रोफेसर ली के अनुसार RT-PCR जांच में ओमिक्रॉन के पास एन जीन का पता चल सकता है लेकिन एन जीन के क्षेत्र में यह कमजोर है. 'स्टील्थ ओमाइक्रोन' के मामले में, एन और एस दोनों जीनों में पॉजिटिव पाया गया जिससे अन्य प्रकारों से अंतर करना मुश्किल हो गया. मॉलिक्यूलर डायग्नोस्टिक टेक्नोलॉजी RT-PCR से अलग काम करते हुए ओमिक्रॉन का सफलतापूर्वक पता लगाती है.
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