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मौसम का बदलना प्रकृति की सबसे रोमांचक घटनाओं में से एक
मौसम का बदलना प्रकृति की सबसे रोमांचक घटनाओं में से एक है। गर्मी, सर्दी,बरसात और पतझड़ नियमित रूप से आते रहते हैं। दुनिया में कई ऐसे देश हैं, जहां मौसम बदलते रहते हैं और कहीं पूरे साल एक सा ही मौसम बना रहता है। हर मौसम में कुछ न कुछ प्रभाव देखने को मिलता है। ऐसे ही सर्दियों के दिनों में अक्सर नदियों, तालाबों और महासागरों के पानी के ऊपर एक गैस जैसी नजर आती है। ऐसा होने के पीछे पूरी तरह से विज्ञान काम करता है। आज हम इसके पीछे का विज्ञान समझाने जा रहे हैं। पानी के तीन रूप होते हैं, ठोस, द्रव्य और गैस और पानी के तीसरे रूप को ही हम सर्दियों में देखते हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार, सर्दियों के दिनों में भी नदी और महासागर का पानी फ्रीजिंग पॉइंट से ज्यादा ठंडा नहीं हो सकता। यही कारण है कि ऊपरी ठंडी हवा के मुकाबले महासागर की सतह हमेशा गर्म रहती है। इस गर्म और ठंडे माहौल के कारण काफी मात्रा में पानी भाप में बदल जाता है और उड़ने लगता है। जो दूर से देखने पर गैस के रूप में दिखाई देती है।
जब पानी महासागर के गर्म सतह से ऊपर की और भांप बनकर ऊपर उड़ने लगता है, तो ठंडी हवा में मिलने लगता है। ऐसा होने पर उस जगह की हवा में भांप के कारण छोटी-छोटी पानी की बूंदें इकट्ठा हो जाती हैं।
ये पानी की बूंदे सी-स्मोक कहलाती हैं। यही कारण है कि पानी की ऊपरी सतह पर भाप गैस के रूप में दिखाई देता है।
ये भाप इतना ऊपर उठ जाते हैं कि पानी के बड़े-बड़े जहाजों को चलाने में तो कोई भी मुश्किल नहीं होती लेकिन नाव चलाने के लिए काफी मुश्किल होती है। इस तरह के सी-स्मोक आर्कटिक और एंटार्कटिक में बहुत ज्यादा देखने को मिलते हैं।
सर्दियों में पानी की सतह पर दिखने वाली भाप को फ्रॉस्ट स्मोक या स्टीम फॉग भी कहते हैं। अगर आपको अगली बार इस तरह से पानी पर उड़ती गैस दिखाई दे तो समझ जाइएगा कि इसके पीछे पूरा विज्ञान काम कर रहा है और पानी का वाष्पीकरण हो रहा है। यही कारण है कि पानी भाप बनकर आसमान में ऊपर उड़ता है।
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