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जानिए किस वजह से चीन के राष्ट्रपति का ड्रीम प्रोजेक्‍ट खतरे में, लाखों करोड़ों का हो सकता है नुकसान

Gulabi
22 April 2021 12:17 PM GMT
जानिए किस वजह से चीन के राष्ट्रपति का ड्रीम प्रोजेक्‍ट खतरे में, लाखों करोड़ों का हो सकता है नुकसान
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ऑस्‍ट्रेलिया ने चीन को गुरुवार को एक बड़ा झटका द‍िया है. ऑस्‍ट्रेलिया ने ऐलान किया है कि

ऑस्‍ट्रेलिया ने चीन को गुरुवार को एक बड़ा झटका द‍िया है. ऑस्‍ट्रेलिया ने ऐलान किया है कि वो विक्‍टोरिया और चीन के बीच हुए बेल्‍ट एंड रोड इनीशिएटिव से जुड़े दो समझौतों को कैंसिल कर रहा है. ऑस्‍ट्रेलिया के मुताबिक ये दोनों समझौते सरकार की विदेश नीति के खिलाफ थे जो एक 'मुक्‍त और खुले हुए हिंद-प्रशांत क्षेत्र' का समर्थन करने वाली है. ऑस्‍ट्रेलिया ने अपने फैसले को राष्‍ट्रीय हित से जुड़ा बताया है.


कौन से दो समझौते हुए कैंसिल
ऑस्‍ट्रेलिया, भारत, जापान और अमेरिका के साथ क्‍वाड संगठन का अहम सदस्‍य है. उसके इस फैसले पर चीन भड़क गया है और उसने ऑस्‍ट्रेलिया को फैसले को शीत युद्ध वाली विचारधारा से प्रेरित बताया है. साथ ही ऑस्‍ट्रेलिया को तुरंत अपनी गलती सुधारने की धमकी भी दी है. ब्‍लूमबर्ग के मुताबिक इस फैसले से चीन को कई बिलियन डॉलर का नुकसान होने की आशंका है. चीन के दूतावास की तरफ से इससे पहले ऑस्‍ट्रेलिया की विदेश मंत्री मैरिस पाएने की तरफ से विक्‍टोरिया राज्‍य द्वारा साइन किए गए समझौतों पर वीटो लाकर इसे कैंसिल कर दिया गया है. ऑस्‍ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्‍कॉट मॉरिसन ने मीडिया को बताया है कि ये दो समझौते इसलिए कैंसिल किए गए हैं क्‍योंकि इन्हें गलत तरीके से साइन किया गया था.
साल 2018 और 2019 के समझौते
मॉरिसन का कहना है कि उनकी सरकार किसी भी स्‍तर पर इस तरह के समझौतों को आगे नहीं बढ़ाना चाहती है तो ऑस्‍ट्रेलिया की विदेश नीति के खिलाफ हों. पीएम मॉरिसन के मुताबिक ऑस्‍ट्रेलिया के लिए राष्‍ट्रीय हित सबसे ऊपर है. वह किसी भी तरह से इससे समझौता नहीं कर सकता है. साथ ही वह हमेशा से हिंद प्रशांत क्षेत्र की आजादी का समर्थन करता आया है और करता रहेगा. ऑस्‍ट्रेलिया की सरकार ने जिन समझौतों का कैंसिल किया है उन्‍हें साल 2018 और 2019 में साइन किया गया था. इनमें से एक समझौते के तहत विक्‍टोरिया के शिक्षा विभाग के अधिकारियों को सीरिया और ईरान भेजा जाना था.
क्‍या है चीन का BRI प्रोजेक्‍ट
आपको बता दें कि ऑस्‍ट्रेलिया और चीन के बीच पिछले वर्ष अप्रैल माह से ही विवाद जारी है. ऑस्‍ट्रेलिया दुनिया का पहला देश था जिसने कोविड-19 के दुनियाभर में फैलने को लेकर एक जांच की मांग की थी. चीन, ऑस्‍ट्रेलिया के अलावा न्‍यूजीलैंड का भी एक बड़ा ट्रेड पार्टनर है. बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव को पहले 'वन बेल्ट, वन रोड' (OBOR) के नाम से जाना जाता था.
चीन इस प्रोजेक्‍ट को ऐतिहासिक 'सिल्क रूट' का मॉर्डन वर्जन बताता है. सिल्क रूट वो रास्ता था, जो चीन को यूरोप और एशिया के बाक़ी देशों से जोड़ता था. इसके जरिए तमाम देशों का कारोबार होता था. आज की तारीख में चीन उसी तर्ज़ पर पूरी दुनिया में सड़कों, रेलवे लाइनों और समुद्री रास्तों का जाल बुनना चाहता है, जिसके जरिए वो पूरी दुनिया से आसानी से कारोबार कर सके.
ऑस्‍ट्रेलिया ने बताया खतरा
ऑस्‍ट्रेलिया का मानना है कि चीन का बेल्‍ट एंड रोड इनीशिएटिव, हिंद प्रशांत क्षेत्र के लिए बड़ा खतरा है. दो वर्ष पहले आई एक रिपोर्ट के मुताबिक चीन इस प्रोजेक्‍ट पर 900 बिलियन डॉलर यानी 64 लाख करोड़ रुपए खर्च कर रहा है. इस रकम को दुनिया की जीडीपी का एक तिहाई बताया गया था. इस प्रोजेक्‍ट के जरिए चीन इन्फ्रास्ट्रक्चर, ट्रांसपोर्ट और एनर्जी में निवेश कर रहा है. इसके तहत पाकिस्तान में गैस पाइपलाइन, हंगरी में एक हाईवे और थाईलैंड में हाईस्पीड रेल लिंक बनाने की तैयारी हे.
साथ ही चीन से यूरोप तक 9800 किमी तक रेल लाइन का भी प्‍लान तैयार हो चुका है. यह प्रोजेक्‍ट चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग का ड्रीम प्रोजेक्‍ट है और वो इसे दुनिया की तरक्‍की का रास्‍ता करार देते हैं. मगर ऑस्‍ट्रेलिया, भारत और अमेरिका के जानकारों की मानें तो चीन इसके जरिए गुलाम बनाने वाली नीति को आगे बढ़ा रहा है. विशेषज्ञ इसे चीनी साजिश का हिस्‍सा करार देते हैं.
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